शहर में जहां-तहां फेंका जा रहा मेडिकल कचरा

शहर में जहां-तहां फेंका जा रहा मेडिकल कचरा – मेडिकल कचरे की निस्तारण के लिए शहर में है डंपिंग प्लांट की सुविधा- करीब 50 फीसदी नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक नहीं कराते हैं मेडिकल कचरे की डंपिंग – सदर व मेडिकल अस्पताल समेत भागलपुर में हैं करीब 177 नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक संवाददाता,भागलपुर भागलपुर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2015 10:25 PM

शहर में जहां-तहां फेंका जा रहा मेडिकल कचरा – मेडिकल कचरे की निस्तारण के लिए शहर में है डंपिंग प्लांट की सुविधा- करीब 50 फीसदी नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक नहीं कराते हैं मेडिकल कचरे की डंपिंग – सदर व मेडिकल अस्पताल समेत भागलपुर में हैं करीब 177 नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक संवाददाता,भागलपुर भागलपुर शहर में मेडिकल कचरा डंपिंग एक खतरनाक समस्या बन गयी है. वैसे शहर में मेडिकल कचरे के निस्तारण के लिए सिनर्जी वेस्ट मेनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने डंपिंग प्लांट लगाया है. एक अनुमान के मुताबिक शहर में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल, सदर अस्पताल समेत 50 प्रतिशत प्राइवेट हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक अपने मेडिकल कचरे की डंपिंग नहीं कराते हैं. शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक से जो रोजाना सैकड़ों किलोग्राम मेडिकल कचरे निकलते हैं, जिसे बिना डंपिंग के ही इधर-उधर फेंक दिया जाता है. सवाल यह है कि इतनी बड़ी मात्रा में प्रत्येक दिन निकलने वाले मेडिकल कचरे या तो इर्द-गिर्द फेंक दिये जाते हैं या फिर बिना मेडिकल कचरे को बिना ट्रीटमेंट व डिस्पोजल किये ही लैंड फिल्ड साइट में फेंक दिया जाता है. शहर में अस्पताल व प्राइवेट क्लिनिक की स्थितिएक सर्वे के मुताबिक भागलपुर शहर में सरकारी व प्राइवेट सहित 177 हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक हैं. इसमें से मात्र 94 सरकारी व प्राइवेट हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक ही अपने मेडिकल कचरे को भागलपुर स्थित एक मात्र सिनर्जी वेस्ट मेनेजमेंट प्लांट को डंपिंग के लिए देते हैं. बाकी करीब 90 नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक के मेडिकल कचरे का निबटान कैसे किया जाता है, इसकी कोई पुख्ता सूचना नहीं है. कहा जा रहा है कि इतनी बड़ी संख्या में नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक से रोजाना काफी मात्रा मेडिकल कचरा निकलता है. क्या होता है मेडिकल कचरा मेडिकल साइंस में कचरे को मुख्य रूप से 10 केटोगरी में बांटा जाता है. मौटे तौर पर मेडिकल कचरे में सीरिंज, कांच की बोतलें, ब्लेड्स, प्लास्टिक की बोतलें, यूरिन बैग, ब्लड बैग, गलब्स, प्लास्टर, गंदी पट्टियां, रुई, मानव शरीर के कटे भाग, मानव उत्तक, दवाओं के वायल्स व एम्प्यूल, आइवी सेट, टियूबिंग, केथिटर आदि आते हैं. बॉक्स में…अब जले मेडिकल कचरे की भी होगी जांच हाल में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि अस्पतालों से फेंके गये मेडिकल कचरे के साथ ही अब इंसीलेटर में जले मेडिकल कचरे की भी जांच की जायेगी. जले मेडिकल कचरे की जांच करा कर यह पता किया जायेगा कि जले कचरे से किस प्रकार की बीमारी हो रही है या हो सकती है. इसके लिए बोर्ड ने स्वास्थ्य विभाग को एक गाइड लाइन भी भेजी है. बोर्ड को आशंका है कि मेडिकल कचरा जलने के बाद उसका सही निबटान नहीं होने से उससे बीमारी फैल सकती है. इसके लिए राज्य प्रदूषण बोर्ड सभी मेडिकल कॉलेज व निजी अस्पतालों में प्रतिदिन निकलने वाले कचरे व उसके निबटान की पूरी रिपोर्ट बना कर केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड दिल्ली को भेजेगा.

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