ग्लोबल वार्मिंग का असर अब तक का सबसे गरम साल 2015

भागलपुर: ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव अब देश व राज्यों के जलवायु परिवर्तन पर साफ दिखने लगा है. यही कारण है कि 10 सालों की तुलना में वर्ष 2015 अब तक का सबसे गरम साल रहा. साल 2014 में नवंबर माह में ही ठंड की शुरुआत हो चुकी थी. अभी स्थिति यह है कि दिसंबर 2015 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2015 8:29 AM
भागलपुर: ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव अब देश व राज्यों के जलवायु परिवर्तन पर साफ दिखने लगा है. यही कारण है कि 10 सालों की तुलना में वर्ष 2015 अब तक का सबसे गरम साल रहा. साल 2014 में नवंबर माह में ही ठंड की शुरुआत हो चुकी थी. अभी स्थिति यह है कि दिसंबर 2015 में भी लोग एसी व पंखे चला रहे हैं. हालांकि सुबह व शाम कोहरा छा जाता है. लोगों को उमस व गरमी महसूस होती है. मौसम विभाग की माने तो सुबह शाम वातावरण में कोहरा छाया रहेगा.
दिन चढ़ने के साथ ही आसमान में धूप खिली रहेगी और वातावरण में गरमी का प्रभाव रहेगा. हालांकि मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले चार दिसंबर तक हिंद महासागर में उत्पन्न पश्चिमी विभोक्ष का असर जम्मू कश्मीर से दिल्ली होते हुए बिहार तक पहुंच सकता है. इससे पांच दिसंबर तक न्यूनतम तापमान में दो डिग्री सेल्सियस तक की कमी हो सकती है, जिससे ठंड बढ़ने की उम्मीद है.
न्यूनतम तापमान में लगातार हो रही वृद्धि
डॉ कुमार ने बताया कि लगातार न्यूनतम तापमान में हाे रही बढ़ोतरी के कारण ही मानसून में देरी व कम बारिश हो रही है. बिहार के कोसी जोन दो व पटना जोन तीन बी में बारिश घट रही है. तापमान में बढ़ोतरी से जीव-जंतु व पेड़-पौधे सीधे प्रभावित हो रहे हैं. पौधों की उत्पादकता दर घट रही है और फसल पर कीट व्याधि का प्रकोप भी बढ़ रहा है. गेहूं व धान की उत्पादकता घट गयी है. कहीं बाढ़ तो कहीं सुखाड़ की स्थिति हो रही है. तापमान में वृद्धि का ही नतीजा है कि हिम ग्लेश्यिर ज्यादा पिघल रहे हैं और समुद्र के जलस्तर में वृद्धि हो रही है. इससे नदियों में बाढ़ आ रहा है. यदि इस पर रोक नहीं लगी तो आनेवाले दिनों में कोलकाता, मुंबई, ढाका जैसे शहरों के डूबने का खतरा बढ़ जायेगा.
बढ़ रही है ग्रीन हाउस गैस की मात्रा
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैस कार्बन डायऑक्साइड 40.2 प्रतिशत, मिथेन 167.7 प्रतिशत, नाइट्रस ऑक्साइड 20 प्रतिशत व ओजोन 36 प्रतिशत बढ़ गयी है.
वर्ष 1750 में
कार्बन डाइऑक्साइड गैस 280 पीपीएम थी अब बढ़ कर 392.6 पीपीएम हो गयी है
मिथेन गैस 700 पीपीबी थी अब बढ़ कर 1870 पीपीबी हो गयी है
नाइट्रस ऑक्साइड गैस 270 पीपीबी थी अब बढ़ कर 324 पीपीबी हो गयी है
ओजोन गैस 25 पीपीबी थी अब बढ़ कर 34 पीपीबी हाे गयी है
पिछले 10 साल के नवंबर व दिसंबर माह के तापमान का आंकड़ा
नवंबर दिसंबर
अधिकतम- न्यूनतम – अधिकतम -न्यूनतम
2005 27.3 13.8 24.5 9.5
2006 27.5 16 24.5 10.2
2007 28.9 16.1 23.7 8.7
2008 28.8 14.6 23.1 12.7
2009 27.8 15 24.1 9.1
2010 28.5 17.1 23.7 9
2011 27.6 15.4 21.2 10.1
2012 27 12.4 31 8.6
2013 26.9 15.3 23.4 10.1
2014 29 14.4 21.5 9.1
बारिश नहीं होना भी कारण
बिहार कृषि विवि के मौसम वैज्ञानिक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही वर्ष 2015 अब तक का सबसे गरम साल हो गया है. उन्होंने बताया कि इस गरमी की बढ़ोतरी में स्थानीय कारण भी हैं. पहले हथिया नक्षत्र में बारिश होती थी. इससे जमीन में नमी होती थी. बारिश नहीं होने से जमीन सूखी रह गयी. इस वजह से भी इस साल नवंबर माह तक ठंड शुरू नहीं हुई. नवंबर तक किसान गेहूं फसल की बुआई कर लेते थे, लेकिन अभी भी गेहूं की बुआई पूरी तरह नहीं हो पायी है.
मंगलवार को 15.20 रहा न्यूनतम तापमान
बीएयू के मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार को अधिकतम तापमान 27.4 व न्यूनतम तापमान 15.2 डिग्री सेल्सियस रिकाॅर्ड किया गया. वातावरण में आद्रर्ता 87 प्रतिशत रही. इस दौरान एक किलोमीटर प्रति घंटे की दर से दक्षिणी पश्चिमी हवा चल रही थी.

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