भागलपुर : छह दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे को ध्वस्त करने के विरोध में भाकपा (माले) ने रविवार को सांप्रदायिकता विरोधी मार्च निकाला. यह मार्च शहर के अांबेडकर चौक से शहीद भगत सिंह चौक तक निकाला गया.
मार्च में शामिल लोग लोकतंत्र-धर्मनिरपेक्षता पर हमला बंद करो, उन्माद-उत्पात की राजनीति बंद करो, देश के संविधान पर हमला नहीं चलेगा, शिक्षा-संस्कृति पर हमला बंद करो आदि नारे लगाते हुए चल रहे थे.
मार्च का नेतृत्व भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य काॅमरेड एसके शर्मा, मुसलिम एजुकेशनल कमेटी के महासचिव डॉ फारुक अली, जिला कमेटी के सदस्य बिंदेश्वरी मंडल, महेश प्रसाद यादव, मुकेश मुक्त, गौरी शंकर, संजय मंडल, पुरुषोत्तम दास, रेणु देवी, सुखदेव सिंह, सीताराम दास, मो चांद, सिकंदर तांती, सुरेश प्रसाद साह, सुभाष, विष्णु मंडल, अमित, महेंद्र दास, सुशील भारती, धर्मेंद्र मंडल, रंजन, चूना देवी, बटेश्वर मंडल, नरेश यादव आदि कर रहे थे.
वाम दलों का संयुक्त नुक्कड़ सभा. केंद्र की मोदी सरकार के शासन काल में लोकतंत्र-धर्मनिरपेक्षता पर हमले तेज हुए हैं. देश की गंगा-जमुनी तहजीब को क्षति पहुंचाने की साजिश रची जा रही है. शिक्षा-संस्कृति को आघात पहुंचाया जा रहा है. उक्त बातें वक्ताओं ने रविवार को बाबरी मसजिस विध्वंस की बरसी पर शहीद भगत सिंह स्मारक पर वाम दलों के संयुक्त धरना व नुक्कड़ सभा के दौरान कही.
कार्यक्रम की अध्यक्षता माले के जिला कमेटी सदस्य मुकेश मुक्त, माकपा के जिला सचिव दशरथ प्रसाद, भाकपा के शहर सचिव पदमाकर झा व एसयूसीआइ-सी के नेता दीपक मंडल ने की. धरना को मुख्य रूप से भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य एसके शर्मा, विंदेश्वरी मंडल, माकपा के सच्चिदानंद इनसान, अजय झा, भाकपा के विजय राय, एसयूसीआइ के जिला प्रभारी रोशन कुमार रवि ने संबोधित किया.
इस दौरान समाजसेवी डॉ फारुक अली ने भी संबोधित किया. मौके पर महेश प्रसाद यादव, संजय मंडल, रेणु देवी, गौरी शंकर, गोपाल राय, रामचरित्र मंडल, मो हैदर, अरुण मंडल, मनोहर मंडल, विनोद मंडल, विनय कुमार चौबे, सौरभ, नीतीश आदि उपस्थित थे.
अपने विचारों को सर्वोत्तम मानना ही फासीवाद. सफाली युवा क्लब के तत्वावधान में सराय में छह दिसंबर को बाबरी मसजिद का विध्वंस फासीवादी विचारधारा का क्लायमैक्स विषयक विचार गोष्ठी होगी. गोष्ठी का विषय प्रवेश कराते हुए डॉ फारुख अली ने कहा कि अपनी सोच को सर्वोत्तम मानना और दूसरों की नहीं सुनना या नकार देना ही फासीवाद है.
इससे देश में असहिष्णुता बढ़ती है, जो सामाजिक विघटन का कारण बनती है. मौके पर जलधर दास, मो मनव्वर आलम, मो अशरफ खान, राजकुमार शर्मा, दिवाकर शर्मा, सबीहा फैज, दिनबंधु, रियाजुद्दीन आदि मौजूद थे.