खुले में मांस बक्रिी पर होगी कार्रवाई
खुले में मांस बिक्री पर होगी कार्रवाईप्रधान सचिव का निर्देश :- स्कूल व धार्मिक स्थलों के निकट व सड़क के किनारे से हटे मीट व मछली दुकानें संवाददाता, भागलपुरसड़क के किनारे और स्कूल व धार्मिक स्थलों के निकट खुले में पशु मांस और मुरगा बेचने पर अब रोक लगनेवाली है. बिहार सरकार के नगर विकास […]
खुले में मांस बिक्री पर होगी कार्रवाईप्रधान सचिव का निर्देश :- स्कूल व धार्मिक स्थलों के निकट व सड़क के किनारे से हटे मीट व मछली दुकानें संवाददाता, भागलपुरसड़क के किनारे और स्कूल व धार्मिक स्थलों के निकट खुले में पशु मांस और मुरगा बेचने पर अब रोक लगनेवाली है. बिहार सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग ने इस पर सख्ती बरतना शुरू कर दिया है. विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ले सभी जिले के जिलाधिकारी, नगर आयुक्त और कार्यपालक पदाधिकारी को कार्रवाई करने निर्देश दिया है. प्रधान सचिव ने आठ दिसंबर को इस आशय का पत्र जारी किया है. प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा है कि सड़क के किनारे जगह-जगह पर खुले में मांस, मुरगा व मछली की बिक्री अवैज्ञानिक तरीके से की जा रही है. ऐसी अस्वस्थकारी व्यवस्था में सुधार की जरूरत है. जिस तरह मानवीय रूप से मांस, मछली की बिक्री की जा रही है, उससे जनमानस पर खराब प्रभाव पड़ता है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में गठित राज्य वधशाला कमेटी की बैठक में खुले में सार्वजनिक स्थलों के पास मांस की बिक्री को नियंत्रित करनेे का निर्णय लिया गया है. काला पकड़ा लटकाकर करें बिक्री प्रधान सचिव ने अपने लिखे पत्र में कहा है जहां मांस की बिक्री हो रही है, वहां काला कपड़ा लटका कर मांस की बिक्री की जाये. उन्होंने कहा है कि खुले में और फुटपाथ पर खुले में मांस नहीं बेचने को लेकर मीट शॉप के प्रचलन को व्यवस्थित किया जाये. यह है हकीकत शहरी क्षेत्र में सभी चौक-चौराहों पर खुले में मांस की बिक्री हो रही है. निगम ने लगभग 20 साल से इसके रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ नहीं किया है. पहले कई दुकानें नगर निगम से पंजीकृत थीं और निगम को हर महीने टैक्स भी मिलता था. लेकिन धीरे-धीरे सब बंद हो गया. नगर आयुक्त द्वारा कुछ महीने पहले काला कपड़ा बांध कर मांस की बिक्री करने को कहा था, लेकिन निर्देश का अनुपालन कुछ दिन करने के बाद नहीं हुआ. पहले निगम द्वारा मांस को किया जाता था चेक बीस साल पहले निगम के मंसूरगंज स्थित निगम के मार्केट में मांस की बिक्री की जाती थी. मांस को काटने के पहले पशु चिकित्सक यह जांच करते थे कि वह कटने के बाद खाने लायक है कि नहीं. फिर जब बकरे को काटा जाता उसके बाद भी चेक किया जाता तब उसे बेचने दिया जाता था. अब सारी व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है.