अल्ताफ राजा के सुर संग महफिल हुई जवां

अल्ताफ राजा के सुर संग महफिल हुई जवां-भागलपुर महोत्सव के तहत आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमसंवाददाता, भागलपुर1997 से तुम तो ठहरे परदेशी से देश के संगीत प्रेमियों के दिलोदिमाग पर छा जाने वाले अल्ताफ राजा ने जब शनिवार की रात तुमसे कितना प्यार है से अपनी संगीतमयी सुर लहरियों को छेड़ा, तो श्रोताओं के तालियाें की गड़गड़ाहट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2015 12:23 AM

अल्ताफ राजा के सुर संग महफिल हुई जवां-भागलपुर महोत्सव के तहत आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमसंवाददाता, भागलपुर1997 से तुम तो ठहरे परदेशी से देश के संगीत प्रेमियों के दिलोदिमाग पर छा जाने वाले अल्ताफ राजा ने जब शनिवार की रात तुमसे कितना प्यार है से अपनी संगीतमयी सुर लहरियों को छेड़ा, तो श्रोताओं के तालियाें की गड़गड़ाहट से महफिल जवां हो गयी. कब वक्त बीता और कार्यक्रम के समापन का वक्त आया, पता ही नहीं चला. इस दौरान अल्ताफ के गीत-संगीत के अलावा वंस मोर-वंस मोर और तालियों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनायी दे रही थी. संगीतमयी शाम की शुरुआत पटना से आयी नवोदित गायिका आयुषी दुबे के गीत ‘जख्म दिल छिपा के रोयेंगे’ से हुई. इस दौरान अल्ताफ के इंतजार की बेकरारी दर्शकों के सिर चढ़ बोल रही थी. दर्शकों को अल्ताफ के अलावा कुछ भी सुनना गंवारा नहीं था. पांच मिनट के बाद मंच पर काली टोपी, मखमली कोट और काले पैंट पहने अल्ताफ राजा आये और आते ही मंच संभाला और बोले नमस्कार, आदाब और सतश्री अकाल ! दर्शकों की बेकरारी को भांप बिना देरी किये अल्ताफ रजा ने अपनी शुरुआत शायरी ‘मै उदास रास्ता हूं शाम का, तेरी आहटों की तलाश है, ये सितारे सब हैं बुझे-बुझे, मुझे जुगनुओं की तलाश है, जरा सैर करने को आये हैं, मुझे कुछ नहीं चाहिये, वे हैं डोर-कांटे लिये, जिन्हें मछलियों की तलाश है.’ इसके साथ उन्होंने अपना सुर ‘तुमसे कितना प्यार है, दिल में उतरकर देख लो’ छेड़ा तो दर्शक मगन हो झूम उठे. उन्होंने अपने गीत का ट्रैक बदला और गाया आवारा हवा का झोका हूं, आ निकला हूं पल दो पल के लिए. इस संगीत को सुनकर लोग झूम उठे. गीत के दौरान जब अल्ताफ की पैरोडी चली, तो संगीतमयी महफिल शबाब पर पहुंच गयी. बेहतरीन शायरी के साथ अल्ताफ रजा ने ‘हम वो दिवाने हैं जो ताजा हवा लेते हैं, खिड़कियां खोल के महफिल का मजा लेते हैं’ गाया तो दर्शक आगे बैरियर तोड़कर आने का प्रयास करने लगे. अब तक अल्ताफ राजा के संगीतमयी गीतों की खुमारी दर्शकाें पर चढ़कर बोलने लगी थी. उन्होंने इश्क और प्यार का मजा लीजिये, थोड़ा इंतजार का मजा लीजिये, ये माना मेरी जां मोहब्बत सजा है आदि गाकर महफिल को आनंद, उत्साह के सांतवें आसमां पर पहुंचा दिया. अब तक करीब डेढ़ घंटे बीत चुके थे. अल्ताफ राजा भी अपने संगीतमयी सफर को पड़ाव देने के मूड में थे, उन्होंने दर्शकों की शुरू से की जा ही डिमांड ‘तुम तो ठहरे परदेशी साथ क्या निभाओगे’ सुनाया, तो पंडाल में तालियां, दर्शकों का शोर गूंजने लगा. और इसी के साथ अल्ताफ रजा के सुरों से सजी सुरमुई शाम का अवसान हो गया.

Next Article

Exit mobile version