शराब के नशे के मकड़जाल से बचें/बचायें
शराब के नशे के मकड़जाल से बचें/बचायेंनशे के कई प्रकार आजकल समाज के हर तबके में बखूबी प्रचलित हैं, जो एक सामाजिक व सामुदायिक बुराई ही नहीं, अपराध ही नहीं बल्कि खराब लत व आदत है. कई समूहों में इसका सेवन शादी, ब्याह, पर्व, त्योहारों, धार्मिक, सामाजिक अनुष्ठानों, पार्टियों समारोहों में धड़ल्ले से होता है. […]
शराब के नशे के मकड़जाल से बचें/बचायेंनशे के कई प्रकार आजकल समाज के हर तबके में बखूबी प्रचलित हैं, जो एक सामाजिक व सामुदायिक बुराई ही नहीं, अपराध ही नहीं बल्कि खराब लत व आदत है. कई समूहों में इसका सेवन शादी, ब्याह, पर्व, त्योहारों, धार्मिक, सामाजिक अनुष्ठानों, पार्टियों समारोहों में धड़ल्ले से होता है. पीना, परोसना और पिलाना ऊंची सोसाइटी/संस्कृति, अल्ट्रा मॉडर्न व झूठी शानो-शौकत की बात समझी जाती है, जबकि यह घोर अपसंस्कृति का द्योतक है. शराब पीने के झूठे फायदे भी प्रचलन में हैं, जैसे शारीरिक थकान का घटना, मानसिक तनाव दूर होना, दिमाग की तीक्ष्णता का बढ़ना, सृजनशीलता का बढ़ना इत्यादि. फिल्मों से भी इसका प्रचार होता है, इस पर रोक लगनी चाहिए.शराब से हर तरह के अपराध के तार जुड़े होते हैं-चोरी, डकैती, अपहरण व छेड़छाड़, झपटमारी से हत्या तक के सफर में शराब व नशे का सहारा लिया ही जाता है. एक भ्रम यह भी है कि ऊंची कोटि व महंगी शराब स्वास्थ्यवर्धक है एवं हानिकारक बिल्कुल नहीं है, जबकि अल्कोहल सब में है, जो हानिकारक है. हर व्यसन की तरह शराब की भी पकड़ भुक्तभोगी पर क्रमश: बढ़ती ही जाती है एवं उत्तरोतर आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक अधोपतन में हुई अभिवृद्धि जगजाहिर है. शराब की पूर्ण पाबंदी को अमलीजामा पहनाना महज निर्णय लेने से नहीं हर स्तर के संयुक्त सहयोग से संभव है. शराब का घातक असर मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र, संवेदनाओं, पाचन तंत्र, हृदय, किडनी, लीवर पर व्यापक रूप से होता है. यह उच्च रक्त चाप से हृदयाघात तक का कारण बनता है. छात्रों एवं युवाओं में शराब का बढ़ता क्रेज चिंताजनक है. नशा व शराब मुक्ति परामर्श सह इलाज के केंद्रों की शुरुआत हो. यह सामुदायिक बुराई है, अत: शिक्षित एवं प्रबुद्ध वर्ग को शराब की घातक हानियों एवं दुष्परिणामों की चर्चा व जानकारी फैलाते हुए समेकित प्रयास करने हेतु आगे आना होगा. एनएसएस, नेहरू युवा केन्द्र, सामुदायिक केन्द्रों के माध्यम से, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों, मनोवैज्ञानिक अनुभवी सलाहकारों का भी सहयोग लिया जा सकता है. पहले तो शराबियों की पहचान गुप्त रूपेण करना होगा, उनके घर-परिवार को भी विश्वास में लेना होगा. एक तो शराब के उपयोग से युवा पीढ़ी को बचाने का प्रयास करना होगा, दूसरा शराबियों का क्रमिक उपचार यत्नपूर्वक करना-कराना होगा. बड़े शहरों में ऐसे कई पुर्नवास केन्द्र चल रहे हैं, उनसे संपर्क कर अनुभवों का लाभ लेना होगा. आशा ही नहीं विश्वास है कि शराब मुक्त समाज, परिवार व शहर अपना अवश्य होगा.डॉ केसी मिश्राविभागाध्यक्ष, जंतु विज्ञान, टीएनबी कॉलेज