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अपहृत हेडमास्टर सुबोध मुक्त

बरामद. तारापुर से किये गये बरामद, रंजन बिंद गिरोह ने किया था अगवा सुलतानगंज‍/मुंगेर : पुलिस दबिश के कारण अपहर्ताओं ने 24 घंटे के अंदर अपहृत प्रभारी प्रधानाध्यापक सुबोध साह को मुक्त कर दिया. उसे पुलिस ने तारापुर से बरामद किया. हालांकि इस मामले में एक भी अपहरणकर्ता की गिरफ्तारी नहीं हो पायी. घटना को […]

बरामद. तारापुर से किये गये बरामद, रंजन बिंद गिरोह ने किया था अगवा
सुलतानगंज‍/मुंगेर : पुलिस दबिश के कारण अपहर्ताओं ने 24 घंटे के अंदर अपहृत प्रभारी प्रधानाध्यापक सुबोध साह को मुक्त कर दिया. उसे पुलिस ने तारापुर से बरामद किया. हालांकि इस मामले में एक भी अपहरणकर्ता की गिरफ्तारी नहीं हो पायी. घटना को अपराधी रंजन बिंद गिरोह द्वारा अंजाम दिया गया था.
बगीचे में रखा था रात भर : एसपी वरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि शनिवार की सुबह 9 बजे रंजन बिंद गिरोह के सदस्यों ने उच्च विद्यालय बैजलपुर के प्रभारी प्रधानाध्यापक सुबोध साह का अपहरण करलिया था. अपराधियों ने उन्हें बाइक से भोमासी पुल होते हुए मुज्जफरगंज बागीचे में रात भर रखा. जबकि पुलिस अपहरण में शामिल अपराधियों के परिजनों को हिरासत में लेकर लगातार पूछताछ कर रही थी.
पुलिस दबिश बढ़ता देख अपराधियों ने मुज्जफरगंज में प्रधानाध्यापक को छोड़ दिया. इसके बाद असरगंज के रास्ते वे तारापुर पहुंचे. जहां से प्रधानाध्यापक को सही सलामत बरामद कर लिया गया. एसपी का दावा है कि इस मामले में अपहर्ता द्वारा किसी प्रकार की फिरौती की राशि नहीं ली गयी है.
अपहरण की कहानी शिक्षक की जुबानी
सुलतानगंज कलाली गली निवासी सुबोध साह ने बताया कि वह सुपर ट्रेन से बरियारपुर पहुंचा और ऑटो से धपड़ी मोड़ गया. जहां पर वह प्रमोद यादव के चाय दुकान पर चाय पिया और पैदल ही बैजलपुर विद्यालय की ओर बढ़ गया.
जब विद्यालय के मुख्य गेट पर पहुंचा तो 5-6 लड़के विद्यालय के बाहर गलमोझी लगाये खड़े थे. मैं अंदर जाकर जैसे ही अपने कक्ष का ताला खोला कि सभी लड़कों ने मुझे पकड़ लिया. हथियार का भय दिखा कर कहा कि सर चुपचाप हमारे साथ चलो. उस समय न तो शिक्षक विद्यालय आये थे और न ही बच्चे.
अपराधियों ने मुझे ताला भी बंद नहीं करने दिया. मुझे एक मोटर साइकिल पर बीच में अपराधियों ने बैठा लिया और मेरे ही चादर से मेरे मुंह को ढक दिया. दूसरे मोटर साइकिल पर दो अपराधी सवार थे. बांकी सभी अपराधी विद्यालय के पास ही रुक गये.
मुझे भोमासी पुल होते हुए प्रसन्नडो बहियार ले कर चला गया. उसके बाद दो अपराधी मुझे लेकर मुज्जफरगंज बागीचे ले गये. जहां पर मुझे छुपा कर रखा. रात होने पर अपराधी ने एक झोपड़ी में रखा और सोने के लिए लिबारी बिछा दिया. खाने के लिए भात और दाल दिया. अपराधी फोन पर लगातार बात कर रहे थे. वे लोग आपस में बात करते हुए कह रहे थे कि पुलिस का दवाब बढ़ गया है. मेरे परिवार को उठा लिया है.
5 बजे सुबह छोड़ देंगे. शिक्षक ने बताया कि अपराधियों ने एक बार भी मेरे साथ न तो मारपीट किया और न ही बदसलूकी. अपराधी कहते थे कि आप अच्छे हैं आप पर दया आ रही है. 5 बजे सुबह में छोड़ देंगे.
कैसे पहुंचा तारापुर. शिक्षक सुबोध ने बताया कि अपराधी पहले लोधैया मोड़ पर एक टाटा मैक्सी गाड़ी पर मुझे बैठाया. मेरे साथ दो लोग भी बैठ गये. गाड़ी कुछ दूर चली कि नवटोलिया के समीप गाड़ी पर से उतार लिया. उसके बाद मुझे लेकर असरगंज की ओर खेत-खेत ही चला.
सुबह के 7-8 बजे होंगे कि असरगंज के समीप मुझे सड़क पर चढ़ने को कहा और खेत से ही आवाज देकर एक बस को रुकवाया और मैं उस बस पर सवार होकर तारापुर पहुंचा. जहां पुलिस और मेरे परिजन थे.

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