आर्म्स लाइसेंस: बिचौलिये की भूमिका पर विभाग सख्त

आर्म्स लाइसेंस: बिचौलिये की भूमिका पर विभाग सख्त सामान्य प्रशासन के प्रधान सचिव ने जिलाधिकारी को भेजा पत्र आर्म्स लाइसेंस के बारे में वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट भेजने का दिया निर्देश वरीय संवाददाता, भागलपुरआर्म्स लाइसेंस पास कराने में बिचौलिये की भूमिका पर नकेल डालने को लेकर विभाग ने निर्देश जारी किया है. सामान्य प्रशासन के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2015 8:12 PM

आर्म्स लाइसेंस: बिचौलिये की भूमिका पर विभाग सख्त सामान्य प्रशासन के प्रधान सचिव ने जिलाधिकारी को भेजा पत्र आर्म्स लाइसेंस के बारे में वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट भेजने का दिया निर्देश वरीय संवाददाता, भागलपुरआर्म्स लाइसेंस पास कराने में बिचौलिये की भूमिका पर नकेल डालने को लेकर विभाग ने निर्देश जारी किया है. सामान्य प्रशासन के प्रधान सचिव अमीर सुबहानी ने जिलाधिकारी से आर्म्स लाइसेंस के बारे में जिले की पूरी रिपोर्ट देने का आदेश दिया है. इसके लिए प्रधान सचिव ने एक विशेष फॉर्मेट भी दिया है, जिसमें पहले जारी लाइसेंस से लेकर किये गये आवेदन आदि का उल्लेख करना होगा. बता दें कि भागलपुर जिले में वर्तमान में चार हजार के करीब आर्म्स लाइसेंस धारक हैं. सामान्य शाखा में जांच की कार्रवाई के बाद करीब 500 आवेदन लंबित हैं.बिचौलिए की भूमिका की मिल रही शिकायत प्रधान सचिव ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि मुख्यालय में कई जिलों से आर्म्स लाइसेंस लेने के एवज में बिचौलिये की भूमिका का मामला प्रकाश में आ रहा है. बताया जाता है कि बगैर बिचौलिये की पैरवी के आवेदक को कई माह तक लाइसेंस पास होने का इंतजार करना होता है. वही अगर बिचौलिये के द्वारा आवेदन दिया जाता है, तो लाइसेंस आवेदन की जांच की कार्रवाई जल्द हो जाती है. यह होती है आर्म्स लाइसेंस आवेदन की प्रक्रिया व जांच – कोई भी आवेदक सीधे सामान्य शाखा या फिर संबंधित अनुमंडल कार्यालय में आवेदन करता है. – सामान्य शाखा में किया गया आवेदन संबंधित अनुमंडल कार्यालय को भेजा जाता है. – अनुमंडल कार्यालय से वह पुलिस अधीक्षक कार्यालय भेजा जाता है.- पुलिस अधीक्षक कार्यालय से आवेदक के संबंधित थाना जांच के लिए भेजा जाता है. – संबंधित थाना से जांच के बाद वापस फाइल पुलिस अधीक्षक से हाेते हुए अनुमंडल कार्यालय भेजा जाता है.- अनुमंडल कार्यालय से पूरी जांच रिपोर्ट को जिला पदाधिकारी कार्यालय भेजा जाता है. – जिला पदाधिकारी कार्यालय पूर्व की जांच रिपोर्ट पर संतुष्ट नहीं होने पर दोबारा पुलिस अधीक्षक के पास आवेदन भेजता है. – इस तरह दोबारा आवेदन की प्रमाणिकता जांच होती है. आम तौर पर बिचौलिये की भूमिका लाइसेंस आवेदक के अनुसार बिचौलिये की भूमिका सबसे अहम थाना स्तर पर जांच में होती है. वहां की रिपोर्ट के सही होने के बाद उसकी भूमिका विभाग में हो जाती है. जहां पर आवेदन को जल्द से जल्द आर्म्स मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने, साक्षात्कार होने के बाद अंतिम सहमति के लिए जाना होता है.

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