खेल को लेकर सरकार गंभीर नहीं

खेल काे लेकर सरकार गंभीर नहीं प्रभात खबर से बातचीत में बिहार शतरंज संघ के सचिव अरविंद कुमार सिन्हा बोलेफोटो सुरेंद्र :संवाददाता, भागलुपरबिहार शतरंज संघ के सचिव अरविंद कुमार सिन्हा ने कहा कि राज्य में खेल के विकास के लिए सरकार गंभीर नहीं है. राज्य में जो भी खेल हो रहे हैं, वह संघ के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2015 10:04 PM

खेल काे लेकर सरकार गंभीर नहीं प्रभात खबर से बातचीत में बिहार शतरंज संघ के सचिव अरविंद कुमार सिन्हा बोलेफोटो सुरेंद्र :संवाददाता, भागलुपरबिहार शतरंज संघ के सचिव अरविंद कुमार सिन्हा ने कहा कि राज्य में खेल के विकास के लिए सरकार गंभीर नहीं है. राज्य में जो भी खेल हो रहे हैं, वह संघ के माध्यम से किया जा रहा है. शतरंज खेल की बात करें, तो बाकी खेलों की तुलना कम खर्च वाला खेल है. लेकिन इस खेल के विकास के लिए सरकार की ओर से कोई काम नहीं किया जा रहा है. राज्य में स्टेडियम बनते जा रहे हैं, लेकिन कोच की बहाली नहीं की जा रही है. उन्होंने यह बातें प्रभात खबर से बातचीत में कही. श्री सिन्हा इस्ट जोन अंतर विवि शतरंज प्रतियोगिता में बतौर पदाधिकारी के रूप में आये हैं. उन्होंने कहा कि शतरंज ही नहीं, अन्य खेलों की हालत धरातल पर है. खेल प्राधिकरण सफेद हाथी बनकर रह गया है. कमरा में बैठे लोग खेल विकास के बारे में क्या जानते हैं. शतरंज खेलने के लिए बच्चे आगे आयें, इसके लिए स्कूली स्तर पर नियमित रूप से शतरंज खेल का आयोजन किया जाये. गुजरात व तमिलनाडु की तर्ज पर बिहार में भी शतरंज को विषय बना कर स्कूलों में पढ़ाया जाये. खेल का विकास हो, इसके लिए विभिन्न खेल संगठन के अनुभवी खिलाड़ियों की कमेटी बना कर सुझाव लिया जाये. सुझाव के अनुरूप सरकार काम करे. ————————स्कूलों में खेल के नाम पर खानापूर्ति -फोटो सुरेंद्रसंवाददाता, भागलपुरबिहार खो खो संघ के कोषाध्यक्ष सह इस्ट जोन खो खो प्रतियोगिता के मुख्य निर्णायक बलराम प्रसाद ने कहा कि खो-खो खेल का विकास नहीं होने का कारण स्कूलों में यह खेल खानापूर्ति के रूप में होता है. अगर स्कूलों में पीटीआइ है, तो उनसे पढ़ाने का काम लिया जाता है. सरकारी खेल स्कूलों में नदारद है. खो-खो खेल छोड़ दिया जाये, तो अन्य खेलों में भी बच्चे आगे नहीं आ रहे हैं. संघ का प्रयास रहता है कि खो-खो में अच्छे खिलाड़ी स्कूली स्तर से मिले. इसके लिए संघ अपने स्तर से जिला व राज्य स्तर पर खो-खो प्रतियोगिता का आयोजन समय -समय पर करता रहा है. नये साल में भी संगठन ने खो-खो खेल के लिए नयी योजना बनायी है. इस पर विचार किया जा रहा है. भागलपुर में खो-खो खेल अन्य जिलों की तुलना में कुछ ठीक है. यहां बच्चे इस खेल में आगे आ रहे हैं. लेकिन अभी और काम करने की आवश्यकता है.

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