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सुर व साज के साथ नाच उठी प्रकृति

सुर व साज के साथ नाच उठी प्रकृतिपं राजन मिश्र व साजन मिश्र के कार्यक्रम में लोग हुए मंत्रमुग्धवागीशा संगीत एकेडमी के तत्वावधान में आयोजित गुरूवंदन समारोहसंवाददाता, भागलपुरप्राकृतिक साैंदर्य से परिपूर्ण बागवाड़ी में जब वाक् देवी के साधकों ने अपने सुर-साज का नाद किया तो प्रकृति भी इतरा उठी. ख्याल गायिकी के उस्ताद पं राजन […]

सुर व साज के साथ नाच उठी प्रकृतिपं राजन मिश्र व साजन मिश्र के कार्यक्रम में लोग हुए मंत्रमुग्धवागीशा संगीत एकेडमी के तत्वावधान में आयोजित गुरूवंदन समारोहसंवाददाता, भागलपुरप्राकृतिक साैंदर्य से परिपूर्ण बागवाड़ी में जब वाक् देवी के साधकों ने अपने सुर-साज का नाद किया तो प्रकृति भी इतरा उठी. ख्याल गायिकी के उस्ताद पं राजन व साजन मिश्र के सुर और तबला सम्राट संजू सहाय के साज से शुरू साधना आनंद, उत्साह एवं उल्लास के सर्वोच्च सोपान पर जा पहुंची. अवसर था वागीशा संगीत एकेडमी के तत्वावधान में पं रामदास मिश्र, पं शारदा सहाय और पं चंदन कुमार मिश्र की स्मृति में सूर्यलोक कॉलोनी स्थित जेएस गार्डेन के बागबाड़ी में आयोजित गुरूवंदन समाराेह का. इस अवसर पर पहले संजू सहाय ने तबले की थाप फिर पद्मभूषण सम्मान से नवाजे जा चुके पं राजन-साजन मिश्र ने सुर से जो दिल के तारों को छेड़ा तो महफिल एकबारगी झूम उठी. इनके प्रस्तुति में श्री राधा का प्रेम था तो उनका श्रीकृष्ण के प्रति मनुहार भी. गायिकी में राम की मर्यादा झलकी तो मां भगवती के प्रति भाव-विह्वलता भी. इसमें जिंदगी का स्पंदन था तो धड़कनों की लय भी. कार्यक्रम का आरंभ देवघर से आये श्यामानंद झा के गुरूवंदना से हुई. मशहूर तबला वादक पं संजू सहाय ने तबले की थाप से मौजूद लोगों को जिंदगी के हर रंग को दिखाया. पं सहाय के तबले से जिंदगी में सुनायी देने वाली हर ध्वनि निकली. मसलन, घोड़े की टाप, कोलाहल, रेल के चलने की आवाज, भीड़ का रेला, भोर की बेला, दिन का अवसान, खुशियों के रंग और मन का मलाल. इस दौरान इन्होंने वो चार बाग बजाया जो कभी प्रसिद्ध तबला वादक शांता प्रसाद ने शोले फिल्म में बजाया था. इसके आधे घंटे के बाद महफिल में पहुंचे सुर सम्राट पं राजन-साजन मिश्र. सबसे पहले उदयकांत मिश्र ने पं राजन मिश्र फिर डॉ रविकांत मिश्र ने पं साजन मिश्र को बुके देकर स्वागत किया. फिर उदयकांत-रविकांत मिश्र ने मिश्रा बंधु राजन-साजन मिश्र को अंगवस्त्र से नवाजा. सायं 6:36 बजे पं राजन-साजन मिश्र ने राग यमन कल्याण से आबद्ध ‘श्रीराम चंद्र कृपाल’ राग छेड़ा तो माहौल भक्ति रस में आकंठ डूब गया. इसके बाद तीन ताल से आबद्ध प्रस्तुति ‘दे दौ चुनर सुंदरवा बालम’ की प्रस्तुति तो मन गोकुल और महफिल वृंदावन हो गया. लोगों की आस्था श्री राधा और प्रभु श्रीकृष्ण चितचाेर हो गये. इस दौरान गीतों की यमुना में नहाये लोगों का तन-मन ब्रजमय हो गया. इसके बाद सुर की गति बदली और मिश्रा बंधु ने ‘जय भगवती देवी नमो वर दे ‘ बदली. मन में आस्था-भक्ति की तरंगे कहीं अंतर्मन में उल्लास का सृजन कर रहा था. इसके बाद उन्होंने ‘चलो मन वृंदावन की ओर’ गाया तो मन जिंदगी की भोर हो गयी हो. मिश्रा बंधुओं की अंतिम प्रस्तुति राग भैरवी से आबद्ध ‘धन्य भाग्य सेवा का अवसर पाया’ से हुई. इस दौरान राजन-साजन मिश्रा की हर प्रस्तुतियों के बाद लोगों द्वारा बजायी तालियाें की गड़गड़ाहट यह बताने के लिए काफी थी कि उन्होंने संगीत के सर्वोच्च सोपान को नजदीक से देखने-जानने का अवसर पाया. मिश्रा बंधु की इस प्रस्तुति में दिल्ली से आये सुमित मिश्रा ने हारमोनियम, स्थानीय कलाकार अभिषेक तुषार ने तबला और शालिनी-संतोष ने तानपुरा से बेहतरीन सहयोग रहा. इस दौरान वागीशा संगीत एकेडमी के अध्यक्ष राजीव कांत मिश्रा ने आगतों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया.

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