अंदर तक झकझोर गयीं ”बेटियांं”

भागलपुर : मातृ प्रधान देश में सदियों से पुरुष सत्ता व उसके स्वाभिमान की खातिर स्त्री समाज रौंदी-कुचली जाती रही. कभी युद्धिष्ठिर बन पुरुष ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया, तो कभी राम बनकर धोबी के कहने पर गर्भवती सीता को जंगल में अकेला छोड़ दिया. आज की तारीख में बहू-बेटियों की अस्मत पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2015 6:05 AM

भागलपुर : मातृ प्रधान देश में सदियों से पुरुष सत्ता व उसके स्वाभिमान की खातिर स्त्री समाज रौंदी-कुचली जाती रही. कभी युद्धिष्ठिर बन पुरुष ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया, तो कभी राम बनकर धोबी के कहने पर गर्भवती सीता को जंगल में अकेला छोड़ दिया. आज की तारीख में बहू-बेटियों की अस्मत पर खतरा जितना बाहर वालों से हैं,

उससे कहीं अधिक घर की चहारदीवारी में हैं. इन्हीं सब सवालों का हल जानने व समाज को सोचने पर मजबूर करती है लघु नाटक बेटियां. कटिहार स्कूल ऑफ ड्रामा एंड कटिहार डांस एकेडमी के संयुक्त तत्वावधान में अद्भुत कथ्य एवं शानदार शिल्प पर आधारित लघु नाटक के मंचन ने दर्शकों को अंदर तक झकझोर गया.

नाटक के जरिये दिखाया गया कि किस तरह बेटियों का पढ़ना-लिखना, पहनना, आना-जाना से लेकर उसकी सोच, सपने और खुशियां तक पुरुष द्वारा निर्धारित होती है. आशीष मिश्रा के लेखन व दीपक कुमार के निर्देशन में प्रस्तुत नाटक बेटियां में विमला की भूमिका रीतिका जायसवाल ने निभायी.

कलाकार के दर्द को उकेरती डंडुआ की नाट्य प्रस्तुति : अटल बिहारी पंडा और पंचानन मिश्रा के कुशल निर्देशन में संबलपुर, उड़ीसा की प्रस्तुति लोक नाटक डंडुआ बदहाली व जातिवाद में पिसते युवक दंड कलाकार कएंटु (मानस रंजन मिश्रा) की कहानी है. अपनी लोक कला दंड को जिंदा करने में कएंटु को अपने परिवार को बदहाली की ओर धकेलना पड़ता है. नाटक में जगन्नाथ सुना, निर्मल प्रधान, विरूपाक्ष प्रधान, अमित पंडा और विभुदत्त भोई ने बेहतरीन अभिनय से नाटक में चार-चांद लगा दिया.

पुरुषवादी सोच में पिसती स्त्री की मार्मिक कहानी है रूनामा : असमिया भाषा में प्रस्तुत नाटक रोमनी एक ऐसी स्त्री की कहानी है कि जिसके शराबी पति कैलाश नंदन(मून राभा) अपनी पत्नी रूनामा(तृष्णा पीगू) को पांच लाख रुपये में अपने दोस्त दीप हजारिका(राजा रहमान) के हाथों बेच देता है. रूनामा अपने दूसरे पति दीप के घर में उसके पहली पत्नी से उत्पन्न दो बच्चों की देखरेख करते हुए अपनी जिदंगी को गुजारने लगती हैं.

रूनामा के दोनाें बच्चे अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं. जब कैलाश अपने दोस्त के घर पहुंचता है और अपनी पत्नी रूनामा को लेकर घर आ जाता है तो दीप को हार्ट अटैक हो जाता है और उसकी मौत हो जाती है. नाटक का निर्देशन राबिन डेका और लेखन पाखिला कलिता ने किया. नाटक में वर्षा राजेश्याम, स्रीनी बारू, देवराज कश्यप, रिया कालिया व कल्पना ने शानदार अभिनय किया है.

Next Article

Exit mobile version