ढूंढ़ते रह जाओगे,पकड़ नहीं पाओगे

भागलपुर: भागलपुर व नवगछिया के दियारा इलाकों में पुलिस ने अभियान के बहाने कुख्यातों की तलाश की. दियारा इलाके के हिस्ट्रीशीटर सत्तन यादव, जुगवा मंडल समेत दर्जन भर अपराधियों की सूची के साथ पुलिस दियारा क्षेत्र पहुंची थी. इसके अलावा माले नेता रामदेव यादव की हत्या में शामिल राजा व उसके परिजन के भी दियारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 29, 2013 10:43 AM

भागलपुर: भागलपुर व नवगछिया के दियारा इलाकों में पुलिस ने अभियान के बहाने कुख्यातों की तलाश की. दियारा इलाके के हिस्ट्रीशीटर सत्तन यादव, जुगवा मंडल समेत दर्जन भर अपराधियों की सूची के साथ पुलिस दियारा क्षेत्र पहुंची थी. इसके अलावा माले नेता रामदेव यादव की हत्या में शामिल राजा व उसके परिजन के भी दियारा इलाके में ही शरण लिये जाने की आशंका है. राजा पर हत्या के दो मामले दर्ज हैं.

चर्चा में आया सत्तन
2004 में राजद नेता लक्ष्मी यादव के भाई मनोहर यादव की हत्या के बाद सत्तन यादव रातोंरात सुर्खियों में आ गया. कुछ दिन बाद सत्तन ने राजद नेता लक्ष्मी यादव की भी हत्या कर दी थी. दोनों भाई की हत्या के बाद नाथनगर व दियारा इलाके में सत्तन की तूती बोलनी लगी. किसान और व्यवसायियों से रंगदारी मांगे जाने का सिलसिला शुरू हो गया है. नाथनगर स्टेशन के दर्जनों व्यवसायियों को डरा-धमका कर सत्तन और उसके गुर्गे रंगदारी वसूलने लगे. नाथनगर के व्यवसायी राजीव साह व राम लखन मंडल को सत्तन ने गोली मार दी. 2006 में नाथनगर के पासी टोला में सत्तन ने पुलिस दल पर हमला कर दिया. सत्तन और उसके गिरोह के साथ पुलिस की भुठभेड़ हो गयी. सत्तन ने हवलदार केपी सिंह को बम कर घायल कर दिया था.

जारी हुआ था निर्देश
इलाके में सत्तन का आतंक इतना बढ़ गया था कि 2006 में तत्कालीन एसपी जेएस गंगवार ने सत्तन को जिंदा या मुर्दा पकड़ने का निर्देश जारी किया था. सत्तन पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया. सत्तन के खिलाफ नाथनगर, मधुसूदनपुर थाने में हत्या, अपहरण, रंगदारी, आर्म्स एक्ट के कई मामले दर्ज हैं. बड़ी बात यह है कि अबतक सत्तन यादव की गिरफ्तारी नहीं हो पायी है.

दर्ज नहीं कराते एफआइआर
सबौर और लैलख इलाके में जुगवा मंडल का ऐसा आतंक है कि घटना घटने के बाद भी लोग थानों में प्राथमिकी दर्ज नहीं कराते हैं. जुगवा 25 जुलाई को लैलख निवासी रवि महलदार की हत्या के बाद सुर्खियों में आया. लैलख में उसके आतंक से तंग आकर 25 अगस्त को ग्रामीणों ने उसका घर तोड़ डाला. ग्रामीणों की पहल के बाद पुलिस भी सक्रिय हुई और जुगवा की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी भी की गयी. हालांकि जुगवा की अब तक गिरफ्तारी नहीं हो पायी है. वैसे जुगवा के खिलाफ सबौर थाने में हत्या, रंगदारी व मारपीट से संबंधित तीन ही मामले दर्ज हैं.

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