कोल्ड स्ट्रोक से सबसे प्रभावित हो रहे हैं बच्चे, अस्पताल व प्राइवेट क्लिनिक फुल
कोल्ड स्ट्रोक से सबसे प्रभावित हो रहे हैं बच्चे, अस्पताल व प्राइवेट क्लिनिक फुल – ठंड के चलते 90 प्रतिशत बच्चे ब्रोनकोलाइटिस बीमारी से पीड़ित- बच्चों में दस्त, उल्टी, बुखार, सांस, सिरदर्द की बीमारी 10 गुना बढ़ी- लकवा, ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, दमा के मरीजों की संख्या में इजाफासंवाददाता,भागलपुरजवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पिछले […]
कोल्ड स्ट्रोक से सबसे प्रभावित हो रहे हैं बच्चे, अस्पताल व प्राइवेट क्लिनिक फुल – ठंड के चलते 90 प्रतिशत बच्चे ब्रोनकोलाइटिस बीमारी से पीड़ित- बच्चों में दस्त, उल्टी, बुखार, सांस, सिरदर्द की बीमारी 10 गुना बढ़ी- लकवा, ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, दमा के मरीजों की संख्या में इजाफासंवाददाता,भागलपुरजवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पिछले तीन-चार दिनों में शिशु रोग विभाग में कोल्ड स्ट्रोक यानी ठंड के कारण बीमार बच्चों की संख्या 30 से 40 प्रतिशत बढ़ गयी है. जेएलएनएमसीएच के शिशु रोग विषेषज्ञ डॉ आरके सिन्हा का कहना है कि ठंड में बच्चों में ज्यादा वायरल बीमारी फैलती है. बच्चों में ब्रोनकोलाइटिस यानी निमोनिया के साथ-साथ कोल्ड डायरिया हो जाती है. ऐसे मौसम में पेट और फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. पेट में ठंड लगने से सर्दी, खांसी, पतला पैखाना, उल्टी, बुखार आदि हो जाते हैं. वहीं प्राइवेट क्लिनिक में भी ठंड के चलते बीमार बच्चों की संख्या 10 गुनी बढ़ गयी है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि उनके क्लिनिक में रोजाना 50 से अधिक बच्चे कोल्ड स्ट्रोक के आ रहे हैं, इसमें 40 बच्चे ब्रोनकोलाइटिस यानी निमोनिया के होते हैं. इसी प्रकार शहर के सभी प्राइवेट क्लिनिक की स्थिति है. डॉ सिंह ने बताया कि बच्चों में ब्रोनकोलाइटिस बीमारी वायरल इन्फैक्शन से होता है. यह आरएसवी यानी रिस्पेरिटी सिनसीटयल वायरस से होता है. लक्षणडॉ अजय कुमार सिंह ने बताया ब्रोनकोलाइटिस यानी निमोनिया से पीड़ित बच्चे का सांस फूलने लगता है. कहरने लगता है. सांस (पाखा)तेज हो जाता है. नवजात बच्चे दूध कम पीने लगता है. शरीर नीला पड़ जाता है. उपचार ब्रोनकोलाइटिस बीमारी से पीड़ित होने पर घबराना नहीं चाहिए. इसका प्रभाव सात से 10 दिन तक रहता है. यह अपने आप ठीक होता है. बीमार बच्चे को एंटी बॉयोटिक दवा ज्यादा नहीं देनी चाहिए. ऑक्सीजन नेबूलाइजर का प्रयोग करनी चाहिए. बुखार की दवाई चिकित्सक की सलाह से देनी चाहिए. नवजात अगर दूध नहीं पी रहा है, तो पाइप से दूध पिलाना चाहिए. बचाव बच्चों को ब्रोनकोलाइटिस बीमारी नहीं हो, इसके लिए बच्चों को सबसे पहले ठंड से बचाना चाहिए. इस सीजन में यह वायरल इन्फेक्शन फैलता है, इसलिए ब्रोनकोलाइटिस से पीड़ित बच्चे को दूसरे सामान्य बच्चे से अलग रखना चाहिए. लोगों को संयम से रहना चाहिए, क्योंकि ठंड में बच्चों में ब्रोनकोलाइटिस बीमारी का बार-बार अटैक होता है.