तोमर से हताहत, तो कई नये कार्य से राहत
तोमर से हताहत, तो कई नये कार्य से राहतवर्षांत 2015-खट्टे-मीठे अनुभव के साथ वर्ष 2015 को बाय-बाय करेगा टीएमबीयूफोटो : टीएमबीयूवरीय संवाददाता, भागलपुरतिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय काे वर्ष 2015 कई खट्टे-मीठे अनुभव देनेवाला रहा. दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर के लॉ डिग्री मामले से विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा में आंच लगी. यह मामला देश […]
तोमर से हताहत, तो कई नये कार्य से राहतवर्षांत 2015-खट्टे-मीठे अनुभव के साथ वर्ष 2015 को बाय-बाय करेगा टीएमबीयूफोटो : टीएमबीयूवरीय संवाददाता, भागलपुरतिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय काे वर्ष 2015 कई खट्टे-मीठे अनुभव देनेवाला रहा. दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर के लॉ डिग्री मामले से विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा में आंच लगी. यह मामला देश भर में सुर्खियों में रहा. विश्वविद्यालय ने अपने दम पर कई ऐसे नये कार्य किये, जो ऐतिहासिक साबित हुए. पिछले वर्ष की तुलना में छात्र आंदोलनों में कमी आयी. कई महत्वपूर्ण कार्य करने में या तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिलचस्पी नहीं दिखायी या फिर इसे सहयोग ही नहीं मिला. इस कारण विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ-साथ सर्वाधिक छात्रों को मलाल रहेगा कि उनसे जुड़े कई कार्य इस वर्ष नहीं हो सके.जो कार्य नहीं कर पाया विश्वविद्यालय 10 फरवरी को सिंडिकेट की बैठक में निर्णय लिया गया था कि अप्रैल में दीक्षांत समारोह होगा, जो नहीं हो सका. 26 अगस्त को सिंडिकेट की बैठक में निर्णय लिया गया था कि दिसंबर के दूसरे सप्ताह में सीनेट व सिंडिकेट का चुनाव कराया जायेगा. इसकी तैयारी भी शुरू नहीं हुई. 26 अगस्त को ही सिंडिकेट की बैठक में निर्णय लिया गया था कि छात्र संघ चुनाव दिसंबर के पहले सप्ताह में होगा. मतदाता सूची भी तैयार नहीं कर सका विश्वविद्यालय.वर्ष 2012 में विवि में यूजीसी की एनएमइआइसीटी के तहत साइबर लाइब्रेरी खोलने का काम आरंभ किया गया. केंद्रीय पुस्तकालय में बीएसएनएल ने ऑप्टिकल फाइवर लगा कर इंटरनेट कनेक्शन दे दिया, लेकिन न तो कंप्यूटर की खरीदारी हुई, नहीं लगा ट्रांसफारमरपीजी छात्रावासों में वर्षों से अवैध कब्जा खाली कराने का प्रयास तक शुरू नहीं कर सका विश्वविद्यालय. शिक्षकों की भारी कमी झेल रहे भागलपुर विश्वविद्यालय में राज्य सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की और न ही विवि ने अपने स्तर से अस्थायी शिक्षक रख पाया.वर्षों से बाइट सॉफी एजेंसी से मुक्ति चाह रहा विश्वविद्यालय इस साल भी इससे मुक्त नहीं हो पाया. यह एजेंसी विश्वविद्यालय का रिजल्ट तैयार करती है. रिजल्ट में भारी गड़बड़ी होने से एजेंसी को हटाने की मांग उठती रही है.जो काम हुए-खेल कैलेंडर में योग को जोड़ा गया. यह वर्षों से लंबित था.-नैक का मूल्यांकन सीरीज में हो रहा है. टीएनबी के बाद मारवाड़ी कॉलेज का मूल्यांकन हुआ. बिहार के इकलौते संबद्ध महादेव सिंह कॉलेज को बी ग्रेड मिला. कई कॉलेज इस लाइन में खड़े हैं. वर्ष 2003 में विवि को सी ग्रेड मिला था. इसके बाद मूल्यांकन नहीं हुआ, जिसकी रिपोर्ट तैयार कर ली गयी है.-कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे नैक के चेयरमैन बने. प्रतिकुलपति प्रो एके राय बीएसइबी के सदस्य बने. प्रतिकुलपति कई शोध कार्य से जुड़े हैं. प्रतिकुलपति की अगुआई में एनटीपीसी में टीएमबीयू की ओर से कचरा प्रबंधन इकाई स्थापित की गयी. -पीजी डिप्जलोमा इन बायोइंफॉरमेटिक्स कोर्स खुला. कई कॉलेजों में बीसीए का कोर्स खोला गया. -इस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट की मेजबानी करने का अवसर कई वर्ष के बाद मिला. हर कॉलेज में खेल गतिविधि बढ़ी. -परीक्षा कैलेंडर बन कर तैयार है. परीक्षा सत्र को नियमित करने का प्रयास किया गया. पार्ट वन 2015 की परीक्षा इस वर्ष ली गयी. रेगुलर सिंडिकेट व सीनेट की बैठक की गयी. कर्मचारियों की प्रोन्नति प्रक्रिया शुरू हो गयी. सेमिनार लगातार होते रहे.