हर लफ्ज पर तालियों की गड़गड़ाहट
हर लफ्ज पर तालियों की गड़गड़ाहट संवाददाता, भागलपुरशहर में चर्चा-ए-आम थी शाम-ए-महफिल की. प्रभात खबर के बैनर तले रविवार की शाम टाउनहॉल में मशहूर व मारूफ शायर मुन्नवर राणा व डॉ राहत इंदौरी के एक-एक लफ्ज पर दर्शकों के तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था. लफ्जों के ऐसे वाण शायरों ने चलाया कि हर […]
हर लफ्ज पर तालियों की गड़गड़ाहट संवाददाता, भागलपुरशहर में चर्चा-ए-आम थी शाम-ए-महफिल की. प्रभात खबर के बैनर तले रविवार की शाम टाउनहॉल में मशहूर व मारूफ शायर मुन्नवर राणा व डॉ राहत इंदौरी के एक-एक लफ्ज पर दर्शकों के तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था. लफ्जों के ऐसे वाण शायरों ने चलाया कि हर कोई तालियां बजाने से अपने आप को रोक नहीं पा रहे थे. श्रोताओं की जुबान पर मुन्नवर राणा व डॉ राहत इंदौरी का नाम निकल आ रहा था. शायर मुन्नवर राणा की वह पंक्ति मेरे हिस्से में मेरी मां आयी सुन टाउनहॉल में बैठे श्रोता अपने आप को नहीं रोक पाये. तालियां बजती रही. मां के शब्द सुन कई लोगों की आंखें भर आयी. हालात यह था कि जो जहां बैठा था. लगभग ढ़ाई घंटा तक दिल को थाम कर बैठे रह गया. एक से बढ़ कर एक कलाम दोनों शायरों ने प्रस्तुत किया. डॉ राहत इंदौरी की पंक्ति दोस्ती जब किसी से की जाये, दुश्मनों की राय ली जाये. यह सुन लोग झूमने पर मजबूर हाे गये. लगातार यह सिलसिला दर्शकों के बीच चलता रहा.