डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक व्यवहारिक नहीं

डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक व्यवहारिक नहीं- मेडिकल कॉलेज के 30 प्रतिशत चिकित्सक ही करते हैं निजी प्रैक्टिस – आइएमए संगठन ने इस तरह के निर्णय का पहले भी किया था विरोध संवाददाता,भागलपुर बिहार सरकार ने सूबे के नौ मेडिकल कॉलेजों और सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों के डॉक्टरों और शिक्षकों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर सरकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2016 10:41 PM

डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक व्यवहारिक नहीं- मेडिकल कॉलेज के 30 प्रतिशत चिकित्सक ही करते हैं निजी प्रैक्टिस – आइएमए संगठन ने इस तरह के निर्णय का पहले भी किया था विरोध संवाददाता,भागलपुर बिहार सरकार ने सूबे के नौ मेडिकल कॉलेजों और सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों के डॉक्टरों और शिक्षकों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर सरकार के रोक लगाने के फैसले को डॉक्टरों ने अव्यावहारिक बताया है. मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के डॉ आरके सिन्हा ने कहा कि अगर सरकार इस तरह की निर्णय लेती है, तो इसका नुकसान आम मरीज को ही होगा. मरीजों की भीड़ हॉस्पिटल में इतनी बढ़ जायेगी कि अस्पताल में भरती होने के लिए लोगों परेशानी हो जायेगी. शिशु रोग विभाग के डॉ केके सिन्हा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के 30 प्रतिशत डॉक्टर ही निजी प्रैक्टिस करते हैं. ऐसे फैसले पहले भी राज्य सरकार ने लिये थे, लेकिन सफल नहीं हो सका. चेस्ट विभाग के डॉ डीपी सिंह ने बताया कि जिन लोगों को नॉन प्रैक्टिस अलाउंस मिलता है, उनके खिलाफ इस तरह का प्रतिबंध लगाये जाने की बात है. हम लोग तो नॉन प्रैक्टिस अलाउंस नहीं लेते हैं. पहले भी ऐसा निर्णय लिया गया था, लेकिन डाॅक्टरों ने प्राइवेट प्रैक्टिस करना जारी रखा था. वैसे आइएमए ने इस तरह के निर्णय का विरोध भी किया था. मेडिसिन विभाग के डॉ भारत भूषण ने प्राइवेट प्रैक्टिस पर सरकार के रोक लगाने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि बिहार में जो चिकित्सा सेवा गड़बड़ायी है, वह ठीक हो जायेगी. उन्होंने कहा कि दूसरे कई राज्यों में भी डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस पर रोक लगा रखी है.

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