श्रीकृष्ण कथा का श्रवण सुन भाव-वह्विल हुए श्रोता

श्रीकृष्ण कथा का श्रवण सुन भाव-विह्वल हुए श्रोता-बाल सखा सुदामा की दीन दशा देख द्रवित हुए श्रीकृष्णफोटो : आशुतोषसंवाददाता, भागलपुरजिच्छो माता मंदिर के परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन वेद व्यास पीठ को सुशोभित कर रहे पं विष्णु शर्मा ने श्रोताओं को भगवान श्रीकृष्ण की विविध लीलाओं से युक्त कथा सुनायी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2016 11:30 PM

श्रीकृष्ण कथा का श्रवण सुन भाव-विह्वल हुए श्रोता-बाल सखा सुदामा की दीन दशा देख द्रवित हुए श्रीकृष्णफोटो : आशुतोषसंवाददाता, भागलपुरजिच्छो माता मंदिर के परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन वेद व्यास पीठ को सुशोभित कर रहे पं विष्णु शर्मा ने श्रोताओं को भगवान श्रीकृष्ण की विविध लीलाओं से युक्त कथा सुनायी. श्रीकृष्ण की कथा सुन श्रोताओं का मन गोकुल तो माहौल वृंदावनी हो गया. कथा के आरंभ में वेदव्यास पं शर्मा ने भगवान श्रीकृष्ण की आठ रानियां क्रमश: रूक्मणी, जाम्बवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिंदा, सत्या, भद्रा व लक्ष्मणा से हुए विवाह कथा प्रसंग सुनाया. फिर अंत में उन्होंने भौमासुर वध कथा प्रसंग का वर्णन किया. उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह देवराज इंद्र की प्रार्थना पर भगवान श्रीकृष्ण ने भौमासुर का वध किया तथा 16 हजार सुंदरियाें की याचना पर उन्हें अपनी रानी बनाया. कथा के अगला प्रसंग सुदामा चरित्र रहा. इसके तहत वेदव्यास श्री शर्मा ने बताया कि जब गुरु के शिक्षण प्राप्त करने के बाद विविध लीला करते हुए श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश बने और इधर अपनी गृहस्थी में पिस कर सुदामा दरिद्र बन गये. पत्नी के कहने पर सुदामाजी द्वारिका पहुंचे और श्रीकृष्ण ने जब सुदामा की दीनहीन दशा देखा तो वे परात में भरे पानी के बजाय अपने आंसुओं से ही उनके पग(पैर) धो दिया. इसके बाद पं शर्मा ने श्रोताओं को भक्त उद्धव, कलियुग आगमन, राजा परीक्षित कथा का श्रवण श्रोताओं को कराया. इसके साथ ही कथा ज्ञान यज्ञ का समापन हो गया. इस अवसर पर बिहार के पूर्व मंत्री व बछवारा के विधायक रामदेव राय, कथा के आयोजक प्रवीण सिंह, शिक्षाविद् राजीवकांत मिश्र, नवनीत शर्मा, दीपक सिंह, विनीता सिंह, रामदास सिंह, गीता सिंह, गायत्री सिंह आदि की मौजूदगी रही.

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