गुरु वशिष्ठ की तपोभूमि में ही बने केंद्रीय विवि
कहलगांव : हते हैं इतिहास खुद को दुहराता है. इतिहास को दोहराने में अड़चन नहीं डालना चाहिए. विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविधालय की स्थापना को लेकर केंद्र सरकार की पहल से विक्रमशिला का इतिहास दोहराने को आतुर हो उठा है. बिना राजनीतक भेदभाव के राज्य सरकार को भी पहल करनी चाहिए. निर्माण कार्य खुदाई स्थल के आसपास […]
कहलगांव : हते हैं इतिहास खुद को दुहराता है. इतिहास को दोहराने में अड़चन नहीं डालना चाहिए. विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविधालय की स्थापना को लेकर केंद्र सरकार की पहल से विक्रमशिला का इतिहास दोहराने को आतुर हो उठा है. बिना राजनीतक भेदभाव के राज्य सरकार को भी पहल करनी चाहिए.
निर्माण कार्य खुदाई स्थल के आसपास ही हो. यह उद्गार कहलगांव के प्रबुद्ध नागरिकों का है. कहलगांव स्थित संत जोसफ स्कूल के शिक्षक डॉ जयप्रकाश तृषित की राय है कि इसकी स्थापना खुदाई स्थल के आसपास होने से तपोस्थली के ताप का पावन, प्रभाव शिक्षक व विधार्थी दोनों पर होगा. अन्यत्र स्थापना से ऐतिहासिक विक्रमशिला के अतीत की उपेक्षा होगी. साथ ही कर्म, ज्ञान, दान स्थल को ठेस पहुंचेगा. खुदाई स्थल के आसपास विवि के निर्माण से इसके महत्व व गौरव में चार चांद लगेगा. उपेक्षित बियाडा की जमीन पर शिक्षा के मंदिर का विरोध भू स्वामी हरगिज नहीं करेंगे.