लोकार्पण. आध्यात्मिक ज्योति पत्रिका का हुआ भव्य लोकार्पण समारोह

अध्यात्म का विश्वगुरु है भारत : वीसी जिस देश की बौद्धिक संपदा जितनी संपन्न होती है, वह देश उतना ही आगे होता है : स्वामी आगामानंद भागलपुर : शारदा संगीत सदन में संगीत की स्वर लहरियों के बीच शनिवार को आध्यात्मिक ज्योति पत्रिका लोकार्पण हुआ है. लोकार्पण समारोह में लोगों को संबोधित करते हुए तिलकामांझी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 24, 2016 4:16 AM

अध्यात्म का विश्वगुरु है भारत : वीसी

जिस देश की बौद्धिक संपदा जितनी संपन्न होती है, वह देश उतना ही आगे होता है : स्वामी आगामानंद
भागलपुर : शारदा संगीत सदन में संगीत की स्वर लहरियों के बीच शनिवार को आध्यात्मिक ज्योति पत्रिका लोकार्पण हुआ है. लोकार्पण समारोह में लोगों को संबोधित करते हुए तिलकामांझी विवि के कुलपति प्रो रमाशंकर दुबे ने कहा भारत आदिकाल से अध्यात्म का विश्वगुरु रहा है. यहां के वेद हजारों साल पुराने हैं. प्राचीन काल से आत्मतत्व के एक से एक जिज्ञासु यहां हुए.
आध्यात्मिक ज्योति पत्रिका लोगों को आध्यात्मिक उन्नयन की दिशा में मार्गदर्शन करेगा. उन्होंने कहा कि यह पत्रिका समाज को नयी दिशा देगा. अभी इस तरह के पुस्तक की जरूरत समाज के हर वर्ग के लोगों को है. कुलपति श्री दुबे ने कहा कि हमारी संस्कृति का मूल वेद है. उन्होंने कहा कि संपूर्ण संसार मिथ्या है. भौतिकता की चकाचौंध ने मनुष्य अंधा बना दिया है.
ऐसे में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म मनुष्य को सच्चे राह पर ले जा सकता है. इस मौके पर प्रतिकुलपति प्रो एके राय ने कहा कि आध्यात्मिक ज्योति पुस्तक लोगों में जागृति लायेगा. उन्होंने कहा कि जब मनुष्य परेशानी से घिरा हो तो अध्यात्म ही उसे परेशानी से निकाल सकता है. संसार में धर्म-अध्यात्म से सभी को जुड़ना चाहिए. अध्यात्म एक एेसा ज्ञान है जो हमेशा आपको अच्छे राह पर ले जाने का काम करता है. पीजी हिंदी विभाग के प्रो बहादुर मिश्र ने कहा कि धर्म अध्यात्म नहीं है.
अध्यात्म आत्मा से है और धर्म आत्मा व बाह्य है. उन्होंने शारदा संगीत सदन में उपस्थित लाेगों को आध्यात्मिक ज्योति पत्रिका के बारे में विस्तृत जानकारी दी. पत्रिका के प्रकाशन तक का सफर किन रास्तों से गुजरा, इस बारे में उन्हाेंने बताया. इस मौके पर विधान पार्षद प्रो संजीव कुमार सिंह ने कहा कि यह पत्रिका समाज को एक नयी दिशा देगा. उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक ज्योति पत्रिका समाज के सभी वर्ग को अध्यात्म से जोड़ने का काम करेेगा. इस मौके पर आध्यात्मिक ज्योति पत्रिका के प्रधान संपादक स्वामी आगमानंदजी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि जिस देश की बौद्धिक संपदा जितनी समृद्ध होती है,
वह देश हर क्षेत्र में उतना ही आगे होता है. उन्होंने कहा कि समाज में सभी को मिल कर आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक लोगों के अाध्यात्मिक उन्नयन में सहायक होगी. मानव जीवन की अमूल्य निधि सतत शांति है. यह मानवता का एक विशिष्ट गुण भी है.
पुस्तक का लोकार्पण विधान पार्षद संजीव कुमार सिंह, कुलपति प्रो रमाशंकर दूबे, प्रतिकुलपति प्रो एके राय, प्रो बहादुर मिश्र, प्रभात खबर के संपादक बृजेंद्र दुबे, संगीतज्ञ पं शंकर मिश्र नाहर, शारदा संगीत सदन की प्राचार्या शर्मिला नाहर, पारस कुंज, डीएम आदेश तितरमारे की पत्नी कात्यायिनी व स्वामी आगमानंद ने किया.
इस अवसर पर शहर के गण्यमान्य, शिक्षाविद् व बुद्धिजीवी उपस्थित थे. लोकार्पण के पहले सांस्कृतिक प्रस्तुति विख्यात संगीतकार पं शंकर मिश्र नाहर ने अपने गीत-संगीत व भजन से दी. उनके गीत-संगीत ने सदन में आये लोगों का मन जीत लिया. मंच का संचालन खुद स्वामी आगमानंद ने किया.

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