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याद किये गये तिलकामांझी, मनायी गयी जयंती

शिक्षण संथाओं सहित कई जगहों पर हुए कार्यक्रमप्रभात खबर डिजिटल प्रीमियम स्टोरीSpies In Mauryan Dynasty : मौर्य काल से ही चल रही है ‘रेकी’ की परंपरा, आज हो तो देश में मच जाता है बवालRajiv Gauba : पटना के सरकारी स्कूल से राजीव गौबा ने की थी पढ़ाई अब बने नीति आयोग के सदस्यUPS: पुरानी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2016 6:41 AM

शिक्षण संथाओं सहित कई जगहों पर हुए कार्यक्रम

भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में गुरुवार को तिलकामांझी जयंती मनायी गयी. मौके पर कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे ने कहा कि तिलकामांझी सच्चे देश प्रेमी थे. सामंतवादी विचार धारा के खिलाफ लड़ाई लड़ी. सारे समाज के लोगों को जोड़ कर देश की आजादी के लिए अंगरेजों से लोहा लिया.
उन्होंने युवाओं से आह्वान किया है कि तिलकामांझी के मार्ग दर्शन पर चल समाज व देश का विकास करें. प्रतिकुलपति प्रो एके राय ने कहा कि विवि का नाम तिलकामांझी होने पर गर्व की बात है. मौके पर विवि रजिस्ट्रार प्रो गुलाम मुस्तफा, प्रोक्टर डॉ विलक्षण रविदास, टीएनबी कॉलेज प्राचार्य डॉ आरपीसी वर्मा, डॉ फारूक अली, डॉ गुरुद्देव पोद्दार आदि ने संबोधित किया. आगत अतिथियों का स्वागत डीएसडब्ल्यू डॉ उपेंद्र साह ने और मंच संचालन डॉ प्रेमभाकर राय ने किया.
मौके पर डॉ इकबाल अहमद, डॉ तपन कुमार घोष, डॉ मथुरा दुबे, डॉ किरण सिंह सहित विवि के सभी शिक्षकेतर कर्मचारी व छात्र-छात्राएं उपस्थित थी.
विवि आंबेडकर विभाग में भी डॉ विलक्षण रविदास की अध्यक्षता में तिलकामांझी की जयंती मनायी गयी. इस मौके पर डॉ श्रवण कुमार, डॉ विष्णुदेव आदि उपस्थित थे. पीजी हिंदी विभाग में तिलकामांझी जयंती मनायी गयी. मौके पर हेड डॉ विद्या रानी, डॉ भगवान सिंह, प्रो अरविंद कुमार, डॉ मधुसुदन झा, डॉ प्रेम प्रभाकर राय, डॉ बहादुर मिश्र आदि उपस्थित थे. ऑल इंडिया डीएसओ की आेर तिलकामांझी जयंती पर तिलकामांझी विवि परिसर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
विवि में लगे तिलकामांझी के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. मौके पर जयंत जलद, जगतराम कर्णपूरी, आशुतोष कुमार, दीपक कुमार, मनीष कुमार आदि उपस्थित थे.
पूरनमल बाजोरिया टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में गुरुवार को बीएड सत्र 2015-17 के प्रशिक्षुओं ने तिलकामांझी की जयंती मनायी. कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ प्रध्यापक डॉ ब्रहम्देव नारायण व मुख्य अतिथि डॉ मधुसूदन झा थे. बीएड कॉलेज के प्रशिक्षुओं सहित डॉ सुधीर कुमार सिंह, डॉ मिथिलेश कुमार सिंह, प्रो राजकुमार, नीलेश कुमार, हीरा कुमारी व प्रो राजकुमार ठाकुर ने ऐतिहासिक, सामाजिक व सांस्कृतिक परिपेक्ष्य में अपने विचार व्यक्त किये.

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