40 फीसदी उत्पादन प्रभावित
भागलपुर : औद्योगिक क्षेत्र बरारी में इन दिनों बिजली संकट गहराने लगा है, जिससे यहां के उद्योग के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है. इतना ही नहीं 40 फीसदी तक उत्पादन को प्रभावित करने लगा है. ऑर्डर के मुताबिक उत्पादन को बनाये रखने के लिए छोटे उद्यमी को अतिरिक्त डीजल खर्च करना पड़ रहा है. […]
भागलपुर : औद्योगिक क्षेत्र बरारी में इन दिनों बिजली संकट गहराने लगा है, जिससे यहां के उद्योग के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है. इतना ही नहीं 40 फीसदी तक उत्पादन को प्रभावित करने लगा है. ऑर्डर के मुताबिक उत्पादन को बनाये रखने के लिए छोटे उद्यमी को अतिरिक्त डीजल खर्च करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर बड़े उद्यमी अधिक केबीए के जेनरेटर पर इतना खर्च नहीं करना चाहते, जितने में जेनरेटर के सहारे उत्पादन बढ़ा कर घाटा हो.
भालोटिया इंडस्ट्रीज के संचालक रवि भालोटिया ने बताया कि यहां पर कपड़ा डाइंग होता है. वर्किंग आवर में बिजली काट ली जाती है. इससे प्रोसेसिंग में जो कपड़ा डाला जाता है, उसको रंगने में परेशानी होती है.
मोहन फूड्स इंडस्ट्रीज के संचालक मोहन केडिया का कहना है कम से कम वर्किंग आवर में बिजली तो रहना ही चाहिए. रोजाना कम से कम तीन से चार घंटे बिजली कटौती की जा रही है. वादा के मुताबिक आठ से 10 घंटे बिजली मिलने पर ही उद्योग का विकास संभव है. इससे भी दिक्कतें आयी हैं. यहां पर सत्तू, बेसन व आटा को तैयार किया जाता है. अभी मजदूरों को बिना काम का पैसा देना पड़ता है या अतिरिक्त डीजल पर खर्च करना पड़ रहा है.
इसके बाद बिजली आने पर कोई काम नहीं हो सकता. इसके अलावा 180 से 190 वोल्ट ही बिजली मिल पाती है, जिससे मशीन ठीक से नहीं चल पाता है. जेनरेटर चलाने पर उनका छोटा उद्योग होने के बावजूद 300 रुपये का डीजल लग रहा है. वहीं दूसरे गुलाब सत्तू के संचालक रवि केडिया ने बताया कि बिजली संकट के कारण 40 फीसदी तक प्रोडक्शन मार खा रहा है. तार जर्जर है, जिससे बार-बार लोकल फॉल्ट आ रहा है. लोकल फॉल्ट होने के कारण बार-बार ब्रेक डाउन कर बिजली काटी जाती है. वांडर क्राफ्ट के संचालक प्रदीप केडिया ने बताया 50 फीसदी तक उनका प्रोडक्शन मार खा रहा है. इसके अलावा जर्जर तार होना सबसे बड़ी समस्या है. बार-बार वर्किंग आवर में ही बिजली कटौती की जा रही है.