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निर्देश . वैज्ञानिक पद्धति से अनुसंधान और अपराधियों को त्वरित सजा दिलाने का है उद्देश्य

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By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2016 2:42 AM

अलग होगी विधि व्यवस्था व अनुसंधान शाखा

प्रथम चरण में पटना के 23 थानों में लागू किया गया है. दूसरे चरण में मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर व दरभंगा जिलों के कुल 11 थानों में इसे लागू किया गया है. तृतीय चरण में जिला मुख्यालय, पुलिस अनुमंडल तथा अन्य महत्वपूर्ण थानों सहित राज्य के कुल 155 थानों को शामिल किया गया है.
भागलपुर : पुलिस महानिदेशक ने सभी वरीय पुलिस अधीक्षक को पत्र भेज कर प्रत्येक थाने में विधि व्यवस्था व अनुसंधान शाखा का अलग अलग गठन करने का निर्देश दिया है. यह निर्देश राज्य के लोगों को विधि व्यवस्था की स्थिति व वैज्ञानिक पद्धति से अनुसंधान कर अपरााधियों को सजा दिलाने की त्वरित कार्रवाई में गुणात्मक सुधार लाने के उद्देश्य से दिया गया है. इस व्यवस्था को प्रथम चरण में पटना के 23 थानों में लागू किया गया है. दूसरे चरण में मुजफ्फरपुर, गया,
भागलपुर व दरभंगा जिलों के कुल 11 थानों में इसे लागू किया गया है. तृतीय चरण में जिला मुख्यालय, पुलिस अनुमंडल तथा अन्य महत्वपूर्ण थानों सहित राज्य के कुल 155 थानों को शामिल किया गया है. इसमें थानाध्यक्ष के पद को पुलिस अवर निरीक्षक कोटि से पुलिस निरीक्षक की कोटि में उत्क्रमित कर लागू की जा चुकी है. पुलिस महानिदेशक ने 24 फरवरी को बैठक कर निर्णय लिया है कि जिन थानों में अभी तक विधि व्यवस्था व अनुसंधान इकाई को अलग नहीं किया, वहां जल्द इसे लागू किया जाये. पूर्व में यह व्यवस्था उन्हीं थानों में की गयी थी, जहां थानाध्यक्ष के पद पर पुलिस निरीक्षक कोटि के पदाधिकारी कार्यरत थे.
इससे क्या होगा लाभ. सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में पुलिस विभाग को बताया था कि थाना स्तर पर विधि व्यवस्था व अनुसंधान को अलग-अलग करने से अपराधियों को सजा दिलाने की त्वरित कार्रवाई में गुणात्मक सुधार होगा. प्राय: पुलिस बल विधि व्यवस्था के संधारण में ही व्यस्त रहता है. इससे वे घटना के फौरन बाद के सबसे आवश्यक घंटे व्यर्थ कर देते हैं.
इससे अनुसंधान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. थाना स्तर पर अनुसंधान इकाई को अलग करने से वैज्ञानिक पद्धति से अनुसंधान कर अपराधियों काे सजा दिलाने की कार्रवाई में गुणात्मक सुधार होगा. इसके लिए दोनों इकाई को यह सुनिश्चित करना होगा कि अनुसंधान व विधि व्यवस्था इकाई में तालमेल व सहयोग बना रहे. इसके गठन से विधि व्यवस्था में शामिल पुलिस पदाधिकारी विधि व्यवस्था को ठीक से संभाल पायेंगे. अनुसंधान इकाई के अनुसंधानक दबावमुक्त एवं बिना किसी बाहरी प्रभाव के अनुसंधान कार्य का निष्पादन कर सकेंगे.
दोनों शाखाओं की क्षमता व जिम्मेवारी भी अलग अलग. विधि व्यवस्था अीम में दो अवर निरीक्षक, चार सहायक अवर निरीक्षक, चार हवलदार एवं चौबीस सिपाही रहेंगे. इस शाखा के अधीन आवश्यक वाहन, टेप, रस्सी, वॉक पीस, वीडियो व स्टिल कैमरा आदि उलब्ध होगा. विधि व्यवस्था इकाई से संबंधित संचिकाओं व बहियों का संधारण इनके कर्मियों द्वारा किया जायेगा. अनुसंधान शाखा में दो अवर निरीक्षक, दो सहायक अवर निरीक्षक, दो हवलदार व चार सिपाही रहेंगे. इनके पास विडियो व स्टिल कैमरा, अावश्यक वाहन, अनुसंधान किट व अावश्यक उपकरण रहेंगे. पुलिस अधीक्षक विधि विज्ञान वैज्ञानिकों की भी सहायता लेंगे. थानाध्यक्ष दोनों ही शाखाओं के संपूर्ण प्रभार में रहेंगे.
थानों में नियुक्त होंगे अतिरिक्त पुलिस निरीक्षक. भागलपुर के इशाकचक, हबीबपुर, लोदीपुर, तातारपुर, कहलगांव व सुलतानगंज थानों में छह, बांका के बांका व बेलहर थाने में दो, नवगछिया के नवगछिया थाना में एक, मुंगेर के मुफस्सिल, काशीमबाजार, इस्ट कॉलोनी, खड़गपुर व जमालपुर में पांच, जमुई के जमुई, झाझा, चकाई व खैरा में चार, लखीसराय के लखीसराय, बड़हिया व सूर्यगढ़ा में तीन, खगड़िया के खगड़िया व गोगरी में दो अतिरिक्त पुलिस निरीक्षक नियुक्त होंगे.

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