इतिहास बनते जा रहे ऐतिहासिक स्कूल

भागलपुर : दो दशक पूर्व तक मारवाड़ी पाठशाला का नाम ही काफी था. इसकी समृद्धि, यहां के शैक्षणिक माहौल और इसका गौरवशाली इतिहास भागलपुर के लिए अनमोल था. 1960 -61 में यहां मारवाड़ी कॉलेज और इवनिंग कॉलेज में कक्षा चलती थी. ऐसा ऐतिहासिक संस्थान आज इतिहास बनते जा रहा है और विभाग चुप है. छात्रावास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:38 PM

भागलपुर : दो दशक पूर्व तक मारवाड़ी पाठशाला का नाम ही काफी था. इसकी समृद्धि, यहां के शैक्षणिक माहौल और इसका गौरवशाली इतिहास भागलपुर के लिए अनमोल था. 1960 -61 में यहां मारवाड़ी कॉलेज और इवनिंग कॉलेज में कक्षा चलती थी.

ऐसा ऐतिहासिक संस्थान आज इतिहास बनते जा रहा है और विभाग चुप है. छात्रावास अपना अस्तित्व खो चुका है,लेकिन निर्माण की राशि निर्गत नहीं होती. विभाग को इसकी चिंता नहीं है. स्कूल के भवन जजर्र हो चुके हैं. छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों की जान की कीमत को समझने वाला कोई नहीं.

इससे यहां के छात्रा पलायन कर दूसरे स्कूलों में नामांकन करा रहे हैं. पूर्व में यहां 12सौ से लेकर 15सौ छात्रा हुआ करते थे. वर्तमान में नवमी कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा में लगभग सात सौ छात्रों का नामांकन है. स्कूल के शिक्षक हरेराम गुप्ता ने बताया कि स्कूल का स्थापना 1908 ई में हुआ है.

यहां से पढ़ाई कर चुके कई पूर्ववर्ती छात्रा आज भागलपुर ही नहीं देश के कोने-कोने और विदेशों में डॉक्टर व इंजीनियर बन कर परचम लहरा रहे हैं. आंख के विशेषज्ञ डॉ हर्ष वर्धन, डॉ चंद्र शेखर शाह, विधायक ई शैलेंद्र आदि यहां के छात्रा रह चुके हैं. वर्ष 1990 -1995 के बीच स्कूल के प्राचार्य रहे शंकरा नंद कुमार के कार्यकाल में पठन-पाठन का काम बहुत बढ़िया हुआ करता था.

यहां अंगरेजी,गणित, विज्ञान, हिंदी के आदि के विद्वान शिक्षक हुआ करते थे. आज भी सुरेश पांडेय, महेश्वर राय, शीतल राय, राम चंद्र राय, सदानंद झा जैसे शिक्षक को बेहतरीन पठन-पाठन के लिए याद किया जाता है.

वर्तमान में स्कूल भवन की हालत जजर्र हो चुकी है. कई कमरों की दीवार का प्लास्टर टूट कर गिर चुका है. स्कूल के पश्चिमी ओर के बाउंड्री वाल भी पिछले आठ माह से गिरा है. स्कूल छात्रावास बदतर स्थिति है. कभी भी छात्रावास का भवन गिर सकता है. डर से यहां छात्रा नहीं रहते है. ऐसे में छात्रा यहां नामांकन नहीं कराना चाहते हैं.
– आरफीन जुबैर –

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