भागलपुर : निशिकांत दुबे के आने से भागलपुर का राजनीतिक पारा हमेशा बढ़ता रहा है. लेकिन रविवार को निशिकांत के आगमन से जो दिखा, उसका संदेश दूर तक जायेगा. जिस-जिस रास्ते से निशिकांत गुजरे, छुट्टी का दिन होने के बावजूद सड़कें जाम हो गयीं. शहर के तटस्थ विश्लेषकों की मानें, तो निशिकांत की साफ-सुथरी राजनीति, सबके साथ अपनापन, उन्हें औरों से अलग करता है.
पूरे अंग क्षेत्र में निशिकांत अकेले एेसे राजनीतिज्ञ हैं, जिनका सम्मान लोग दलगत राजनीति के ऊपर होकर करते हैं. अंग क्षेत्र और संथाल के विकास को ही अपना एजेंडा बना चुके निशिकांत का शहर में जगह हुआ सम्मान यह संदेश भी दे गया भागलपुर में राजनीति की दिशा अब वही तय करेंगे.
हालांकि, निशिकांत का खुद का भाषण इसके उलट रहा. उन्होंने साफ कहा, मुझे अंग प्रदेश का बेटा ही रहने दें, राजनीति करने के लिए गोड्डा में मुझे सबका स्नेह मिल रहा है. हां, यहां के विकास के लिए मुझसे जो भी बन पड़ेगा, करता रहूंगा. निशिकांत ने अपने भाषण में पिछले कई दिनों से लग रही तमाम अटकलों पर बड़े सलीके से ठंडा पानी डाल दिया.
याद रहे कि इससे पहले 27 फरवरी को कहलगांव के गांगुली पार्क में भी निशिकांत का इसी तरह का नागरिक अभिनंदन किया गया था, उसमें भी राजनीतिक सीमाएं टूटी थीं. कम्युनिस्ट ,जदयू, कांग्रेस और भाजपा के नेता एक मंच पर स्वागत के लिए जुटे थे. सब ने एक स्वर में गोड्डा सांसद को बटेश्वर पुल के लिए बधाई दी थी. रविवार को भी यहां हुए नागरिक अभिनंदन में दलीय सीमाएं टूट गयीं. निशिकांत मय दिखा शहर. क्या सत्तापक्ष, क्या विपक्ष, क्या बुद्धिजीवी, क्या व्यवसायी..सब की आत्मीयता निशिकांत के प्रति परिलक्षित हुई.
बड़े दिन बाद भागलपुर में स्थानीय स्तर पर बड़ा राजनीतिक-सामाजिक जमावड़ा देखने को मिला. दलों की दीवारें भी टूटीं, लेकिन इस कार्यक्रम से बहुत लोगों की नींद भी जरूर उड़ी होगी. इसका पता आगे चलेगा. इतना तो तय है कि भागलपुर की राजनीति में निशिकांत का कद काफी ऊंचा हो चुका है और ये भविष्य में उन्हीं के ही इर्द-गिर्द घूमेगी.