बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने अपने नये शोध में इस वेरायटी का किया है इजाद
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बीज रहित खीरा की खेती से किसान होंगे मालामाल
बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने अपने नये शोध में इस वेरायटी का किया है इजाद भागलपुर : आम लोगों को अब गरमी में खीरा खाकर गला तर करने के लिए हाइब्रीड कड़वे खीरे से जल्द निजात मिल सकता है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने अपने नये शोध में बीज रहित खीरा की वेराइटी इजाद किया है. यह […]
भागलपुर : आम लोगों को अब गरमी में खीरा खाकर गला तर करने के लिए हाइब्रीड कड़वे खीरे से जल्द निजात मिल सकता है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने अपने नये शोध में बीज रहित खीरा की वेराइटी इजाद किया है. यह आम दिनों मिलनेवाले खीरे से बिल्कुल अलग व खास है. यह छोटे गहरे हरे रंग और वजन में 80-100 ग्राम के बीच होता है. यह खाने में कड़वा नहीं लगता है. इसका उत्पादन भी आम खीरा से अधिक होता है.
इससे किसानों की आमदनी भी अधिक होती है. बीएयू के सब्जी फल अनुसंधान विभाग के हेड डॉ फेजा अहमद ने बताया कि बीज रहित खीरा अब तक दूसरे प्रदेशों में ही उगाये जा रहे थे. बिहार की जलवायु में भी इसकी खेती की अपार संभावना है. इसके लिए बीएयू के शोधकर्ता वैज्ञानिकों ने काफी मेहनत कर इसकी वेरायटी इजाद किया है. इसकी खेती से किसानों को काफी आमदनी होगी. इस खीरा में सिर्फ मादा फूल ही लगते है और हर फूल फल में बदल जाता है.
सामान्य खीरा में पहले नर फूल लगते हैं और मादा फूल बाद में आता है. इससे किसानों को शिकायत होती है कि उनके खेत में लगे खीरा लत्तरी में फूल बहुत आया है,लेकिन फल नहीं आ रहा है. फल लगने के लिए नर फूल का होना जरूरी नहीं है. इसकी खेती पॉली हाउस में भी की जा सकती है.
अभी प्राइवेट कंपनी के द्वारा इसका एक बीज छह रुपये में बेची जा रही है. बीएयू के वैज्ञानिक इस प्रयास में जुटे है कि इसके बीज की कीमत एक चाैथाई कम हो. जल्द ही बिहार के किसानों को बीएयू में बीज रहित खीरा का बीज उपलब्ध होने लगेगा. सामान्य खीरा से बीज रहित खीरा का उत्पादन चार गुना अधिक होता है.
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