लाचारी से पैदा गरीबी जैसा कोई अपमान नहीं करती

भागलपुर : महात्मा गांधी अर्थशास्त्री नही थे. उनके नाम से कोई अर्थशास्त्र नहीं दिखती है. लेकिन जिस आर्थिक संकट से दुनिया घिरती जा रही है, ऐसी घड़ी में कोई रास्ता तो देखना पड़ेगा. गरीबी का दुश्मन हूं, क्योंकि लाचारी से पैदा गरीबी जितना अपमान करती है, उतना दूसरा कोई नहीं. उक्त बातें कला केंद्र में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2016 5:29 AM

भागलपुर : महात्मा गांधी अर्थशास्त्री नही थे. उनके नाम से कोई अर्थशास्त्र नहीं दिखती है. लेकिन जिस आर्थिक संकट से दुनिया घिरती जा रही है, ऐसी घड़ी में कोई रास्ता तो देखना पड़ेगा. गरीबी का दुश्मन हूं, क्योंकि लाचारी से पैदा गरीबी जितना अपमान करती है, उतना दूसरा कोई नहीं. उक्त बातें कला केंद्र में गांधी कथा के दौरान मंगलवार को गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कही. उन्होंने कहा कि कोई भी विकास स्थायी नहीं है,

वह प्राप्त होने लायक भी नहीं है. 50 वर्ष पहले मानते थे कि हवा, पानी, धूप अकूत है, लेकिन आज इसका अभाव दिखने लगा है. कार्यक्रम का शुभारंभ भावानंद जी एवं संगीत विभाग की छात्राओं द्वारा गांधी जी के भजन से किया गया. इस मौके पर रामशरण, प्रकाशचंद्र गुप्ता, डॉ सुजाता, मनोज पांडेय, डॉ आरडी शर्मा, डॉ योगेंद्र, डॉ किरण सिंह, गिरिधर प्रसाद, वासुदेव भाई, संजय कुमार, प्रवीर, लन, प्रो प्रेम प्रभाकर, कुमार संतोष आिद मौजूद थे.

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