नौ माह में 1.23 करोड़ की हुई वसूली
भागलपुर: जिला में राजस्व वसूली की स्थिति चिंताजनक है. वित्तीय वर्ष का नौ माह बीतने को है, लेकिन अभी तक राजस्व वसूली लक्ष्य का 20 प्रतिशत के करीब ही हो पाया है. आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में वित्तीय वर्ष 2013-14 में भू-लगान से राजस्व वसूली का लक्ष्य सात करोड़ 95 लाख रुपये रखा […]
भागलपुर: जिला में राजस्व वसूली की स्थिति चिंताजनक है. वित्तीय वर्ष का नौ माह बीतने को है, लेकिन अभी तक राजस्व वसूली लक्ष्य का 20 प्रतिशत के करीब ही हो पाया है. आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में वित्तीय वर्ष 2013-14 में भू-लगान से राजस्व वसूली का लक्ष्य सात करोड़ 95 लाख रुपये रखा गया था, लेकिन इसके एवज में अब तक मात्र एक करोड़ 23 लाख रुपये की ही वसूली हुई है. यह स्थिति तब है, जब आंतरिक संसाधन के तहत राजस्व वसूली को तेज करने के लिए लगातार वरीय पदाधिकारियों द्वारा निर्देश दिये जा रहे हैं. वसूली कम होने के पीछे सरकारी उदासीनता स्पष्ट रूप से झलकती है. जिला में राजस्व (भू-लगान) वसूली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हलका (राजस्व) कर्मचारियों की कमी पिछले वर्ष से ही चली आ रही है.
आलम यह है कि जिला में कम से कम 242 राजस्व कर्मचारी होने चाहिए, लेकिन यहां मात्र 70 के आसपास ही पदस्थापित हैं. स्थिति यह है कि एक-एक राजस्व कर्मचारियों के पास तीन से चार हलकों का प्रभार है. ऐसे में राजस्व वसूली कैसे हो पायेगा, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है.
लगान रसीद भी बाधक
राजस्व कर्मचारी की कमी के साथ-साथ लगान रसीद की कमी भी राजस्व वसूली में बाधक बन रही है. वर्ष भर जिला में रसीद की कमी ही रही. जिला प्रशासन की ओर से बार-बार मांग पत्र भेजने के बाद पिछले दिनों करीब छह हजार रसीद भेजी गयी थी, जो मांग के हिसाब से काफी कम है. फिलहाल तो स्थिति यह है कि किसान चाह कर भी लगान के लिए रसीद नहीं कटवा पा रहे हैं. काबिल लगान की रसीद नहीं होने के कारण किसानों के ऋण संबंधी कई कार्य में बाधा आ रही है. केसीसी के लिए जमीन के काबिल लगान की रसीद आवश्यक दस्तावेज है. इसके नहीं होने के कारण किसानों को केसीसी से भी महरूम होना पड़ रहा है. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक राजस्व कर्मचारी ने बताया कि उन पर काम का इतना बोझ है कि अंचलाधिकारी द्वारा मांगी गयी रिपोर्ट भी वह समय पर नहीं दे पाते हैं. चार-चार पंचायत का प्रभार होने के कारण आरटीपीएस व दाखिल-खारिज का कार्य भी प्रभावित हो रहा है. काम दबाव व लगान रसीद की कमी के कारण कई बार किसानों के गुस्से का भी सामना उन्हें करना पड़ता है. लगान रसीद नहीं होने के कारण वह चाह कर भी राजस्व की सही तरीके से वसूली नहीं कर पा रहे हैं.
प्राइवेट मुंशी कर रहे वसूली
एक से अधिक पंचायत का प्रभार होने के कारण कई राजस्व कर्मचारियों ने अपने लिए एक प्राइवेट मुंशी रख लिया है. राजस्व वसूली का जिम्मा तो अंचल के हलका कर्मचारी का है, लेकिन अधिकांश कर्मचारी तो केवल लगान रसीद पर हस्ताक्षर करते हैं, वसूली का काम तो उनके द्वारा रखे गये प्राइवेट मुंशी ही करते हैं. इसकी जानकारी अंचलाधिकारी से लेकर अन्य वरीय पदाधिकारियों व किसानों को भी है, लेकिन कर्मचारियों के कमी के कारण कोई इस दिशा में खुल कर कुछ नहीं बोलता है. सूत्र बताते हैं कि इसके लिए मुंशी किसानों से मोटी रकम भी वसूलते हैं. पदाधिकारियों के मुताबिक, मुंशी रखने का कोई प्रावधान तो नहीं है, लेकिन काम की अधिकता के कारण हलका कर्मचारी ने अपनी सहायता के लिए किसी को रख लिया है. हालांकि इसके लिए अतिरिक्त रकम वसूलने की बात से पदाधिकारी इनकार करते हैं और कहते हैं कि अब तक इस तरह की कोई शिकायत नहीं आयी है.