सूखे लब, कांपते हाथ और आंखों में था बेबसी का आलम

सूखे लब, कांपते हाथ और आंखों में था बेबसी का आलमनशा मुक्ति केंद्र लाइव………………………संवाददाता, भागलपुरदृश्य ऐसा कि पूर्ण शराब बंदी के बाद नशा मुक्ति केंद्र पर इलाज कराने वालों को देख कलेजा मुंह को आ जाये. सदर अस्पताल परिसर में बने नशा मुक्ति केंद्र पर जिसने एक सप्ताह तक इलाज कराते बीत गया, वह जिंदगी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 12:00 AM

सूखे लब, कांपते हाथ और आंखों में था बेबसी का आलमनशा मुक्ति केंद्र लाइव………………………संवाददाता, भागलपुरदृश्य ऐसा कि पूर्ण शराब बंदी के बाद नशा मुक्ति केंद्र पर इलाज कराने वालों को देख कलेजा मुंह को आ जाये. सदर अस्पताल परिसर में बने नशा मुक्ति केंद्र पर जिसने एक सप्ताह तक इलाज कराते बीत गया, वह जिंदगी को जीने की ख्वाहिश में अपनों के साथ हंस-बोल व खेल रहा था. जो इलाज के लिए आया उसकी आंखों में खुद को न संभाल पाने की बेबसी साफ झलक रही थी. शराब न मिलने के कारण उसके लब सूख रहे थे तो हाथ-पैर कांप रहे थे. अपने कभी डॉक्टर तो कभी उसकी बेबसी-बेचैनी को निहार रहे थे. जेएलएनएमसीएच का नशा मुक्ति केंद्र, समय : दो बजे से 2:45 बजे तकघड़ी की सूईयां दो बजा रही थी. नशा मुक्ति केंद्र पर लगभग सन्नाटा सा दिख रहा था. स्टॉफ नर्स अपने कार्यालय में बैठी कुछ बतकही में मशगूल थी. बाहर एक वार्ड ब्वाॅय घूम रहा था. केंद्र का हॉल, जिसमें बेड लगा था, उसके नीचे बैठा नशे का इलाज करा रहा व्यक्ति कुछ खा रहा था. पूछताछ में पता चला कि सुबह करीब आधा दर्जन सिपाही आये थे. जिनकी जांच करना था कि उन्होंने ड्रिंक पी थी कि नहीं. केंद्र के नोडल प्रभारी डॉ अशोक कुमार भगत ने जांचा था. केंद्र पर उपलब्ध दवा और सुरक्षा पर चर्चा होने लगी थी. इसी दौरान एक नर्स भागती हुई आयी और बोली कि इमरजेंसी में एक नशे का आदती आया है. हालत खराब लग रही है. इमरजेंसी वार्ड की गैलरी में खड़े स्ट्रेचर पर लिटाये गये प्रेम कुमार(काल्पनिक नाम) निवासी सजौर की हालत खराब थी. वह लगातार अपने बदन काे अपने नाखून से नोंचने का प्रयास कर रहा था. हाथ-पैर कांप रहा था. होंठ सूख रहा था जिसे वह अपनी जीभ से गीला करने का प्रयास कर रहा था. डाक्टर पहुंचे और और उसे इंजेक्शन देने के बाद स्लाइन चढ़ा दिया. इसके बाद उसे नशा मुक्ति केंद्र वार्ड में शिफ्ट करने की तैयारी शुरू हो गयी. सदर अस्पताल स्थित नशा मुक्ति केंद्र, समय 12:30 बजे से 1:30 बजे तकयहां पर शाहकुंड निवासी एक व्यक्ति अपना इलाज करा रहा था. अपनों के बीच बैठा कुछ बात कर रहा था. जबकि केंद्र पर तैनात कर्मचारी अपने-अपने काम में मशगूल थे. अपने बेड के दाहिनी ओर रखे कैरम पर एक तरफ अपना इलाज कराने वाला नंदू बैठा था तो दूसरी तरफ उसका बेटा राजा. कैरम खेल रहे वहीं नंदू जो कभी दारू के पीछे भागता था, उसकी निगाहें शुक्रवार को क्वीन(कैरम की लाल गोटी) पर थी. उसी क्वीन को हथियाने के लिए उसका बेटा राजा भी लगा हुआ था लेकिन क्वीन लगी नंदू के हाथ. उस समय नंदू के चेहरे पर जीत की खुशी देखने लायक थी. राजा भी अपने पिता के जीत की खुशी में चमक-दमक रहे चेहरे को देख कर खुश हो रहा था.

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