मरीजों की परेशानी बरकरार

भागलपुर: सरकारी उदासीनता के कारण सदर अस्पताल सहित जिले के सभी प्रखंडों में चल रही पैथोलॉजी जांच की सुविधा शुक्रवार को भी बहाल नहीं हो पायी. पिछले तीन दिनों से जिले में यह सुविधा बंद है. इससे अस्पताल आने वाले दूर-दराज के गरीब तबके के मरीज प्राइवेट में जांच नहीं करा पा रहे हैं. नतीजतन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 4, 2014 10:18 AM

भागलपुर: सरकारी उदासीनता के कारण सदर अस्पताल सहित जिले के सभी प्रखंडों में चल रही पैथोलॉजी जांच की सुविधा शुक्रवार को भी बहाल नहीं हो पायी. पिछले तीन दिनों से जिले में यह सुविधा बंद है.

इससे अस्पताल आने वाले दूर-दराज के गरीब तबके के मरीज प्राइवेट में जांच नहीं करा पा रहे हैं. नतीजतन उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. प्राइवेट जांच एजेंसी डोयन को जिले में मरीजों की पैथोलॉजी जांच की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने दी थी. एजेंसी के संचालक का कहना है कि उनका 23 लाख रुपये सरकार के पास बकाया है. इससे यहां काम करने वाले कर्मचारियों को आठ माह से वेतन नहीं दिया गया है साथ ही अब केमिकल सहित अन्य चीजों की खरीद के लिए भी मेरे पास पैसे नहीं हैं. सरकार हमारे बकाया राशि का भुगतान कर दे तो हमलोग सुविधा पुन: बहाल कर देंगे. एक्सरे व अल्ट्रासाउंड एजेंसी के संचालक का भी यही कहना है कि उनका 14 लाख रुपये सरकार के पास बकाया है.

इलाज तो दूर, बढ़ गयी बीमारी
हबीबपुर थाना क्षेत्र से आयी तबस्सुम ने बताया कि सुबह नौ बजे ही आये थे. 11.30 बजे परचा कटा उसके बाद चिकित्सक से जांच कराये तो पैथोलॉजी जांच कराने को कहा. अब जांच घर वाले जांच से मना कर रहे हैं. आधा दिन इसी में खराब हो गया. अब घर जायेंगे तो अलग से परेशानी रखी हुई है. कटघर से आयी मोनिका ने बताया कि वह गर्भवती है. चिकित्सकों ने कई तरह की जांच कराने को कहा है. हमलोग तो यही सोच कर आये थे कि यहां फ्री में जांच हो जायेगी, इसलिए पैसे लेकर भी नहीं आये. अब इसी काम के लिए दोबारा आना पड़ेगा.

अलीगंज की मुन्नी देवी का कहना है कि कमर व घुटने में बराबर दर्द रहता है. होमियोपैथी से एलोपैथ में इलाज कराने आये तो यहां अलग ही परेशानी है. कहीं भी गरीबों के लिए सुविधा नहीं है. हर जगह परेशानी ही है. घंटाघर के दया शंकर भगत का कहना है कि सरकार एक तरफ सुविधा बहाल करती है दूसरी तरफ बंद हो जाती है. ऐसी सुविधा देने का क्या फायदा. शीतल दास,अविनाश कुमार सहित अन्य मरीजों ने भी कहा कि जो सोच कर सरकारी अस्पताल आये वह नहीं हो पाया. अब प्राइवेट में ही पैसा देकर जांच करानी होगी, तो यहां आने का क्या मतलब है.

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