नगर निगम के रिकॉर्ड में तारा देवी का जिक्र नहीं
भागलपुर: काजीचक की जिस विवादित जमीन को लेकर सांसद भूदेव चौधरी व मसोमात दया देवी के नाती परमानंद शर्मा के बीच विवाद चल रहा है, उस जमीन की मालकिन आज की तारीख में भी दया देवी ही हैं. नगर निगम के रिकॉर्ड में कहीं भी तारा देवी का जिक्र नहीं है. ऐसे में जब उक्त […]
भागलपुर: काजीचक की जिस विवादित जमीन को लेकर सांसद भूदेव चौधरी व मसोमात दया देवी के नाती परमानंद शर्मा के बीच विवाद चल रहा है, उस जमीन की मालकिन आज की तारीख में भी दया देवी ही हैं.
नगर निगम के रिकॉर्ड में कहीं भी तारा देवी का जिक्र नहीं है. ऐसे में जब उक्त जमीन की मालकिन आज भी दया देवी ही हैं तो तारा देवी उस जमीन को कैसे बेच सकती हैं. निगम के रिकॉर्ड से स्पष्ट होता है कि जमीन की रजिस्ट्री में घालमेल किया गया है.
किसका पति है साधो : इस मामले को लेकर शुक्रवार को नगर निगम में दिन भर पुराने फाइलों को खंगाला गया. कर्मचारी हैरान-परेशान उक्त वार्ड के तहसीलदार से जानने समझने में लगे थे कि उक्त जमीन के मामले में सच क्या है. नगर सचिव ने कर विभाग के अधिकारी व तहसीलदार से इस संबंध में विशेष रूप से जानकारी ली है. इसके अलावा यह भी पता किया जा रहा है कि तारा देवी का और किसी जमीन में जिक्र तो नहीं है. उक्त जमीन पर 1958 से ही कर जमा किया जा रहा था पर वर्ष 2001 से कर निगम में जमा नहीं किया गया है.
वर्ष 2000 तक दया देवी के नाम से ही होल्डिंग टैक्स प्रति वर्ष 915 रुपये की दर से जमा किया गया है. रजिस्टर में लिखा हुआ है कि मसोमात दया देवी का पति साधो लाल मिस्त्री है व जिस बात का विवाद है उसमें भी तारा देवी का पति साधो लाल मिस्त्री ही है. ऐसे में यह साधो लाल मिस्त्री दो महिला का एक साथ सरकारी कागज पर पति कैसे हो सकता है. वर्तमान में वार्ड 45 के तहसीलदार रामविलास सिंह हैं. वे दो वर्ष पूर्व से इस वार्ड में तहसीलदारी का कार्य कर रहे हैं. इसके पूर्व उस वार्ड की तहसीलदारी दिनेश झा किया करते थे. फिलहाल वे निगम से संबंधित किसी मामले को लेकर निलंबित हैं.
दिन भर बनी रही गहमा-गहमी
शुक्रवार को नगर निगम में दिन भर गहमा-गहमी बनी रही. अधिकारी फाइल पर फाइल छान रहे थे तो कर्मचारी फाइल ढोते-ढोते हांफ रहे थे. इस बीच चर्चा का विषय यही था कि कैसे निगम के नाम पर भी झूठ-सच का खेल खेला गया है. खास बात यह है कि करीब सात माह पहले जब निगम के तहसीलदार कर वसूली के लिए उक्त जमीन पर गये थे तो वहां के किरायेदार ने कहा था कि अभी मालिक नहीं हैं. उनके आने के बाद दोबारा आइयेगा तो पैसा मिल जायेगा. इससे साफ जाहिर होता है कि उक्त जमीन की मालकिन उस वक्त भी दया देवी ही थी.