डिग्री नहीं, शिक्षा की गुणवत्ता पर रहा जोर
दीक्षांत समारोह में मौजूद वक्ताओं ने युवाओं के डिग्री हासिल करने की जगह शिक्षान्वेषी बनने की जरूरत पर दिया जोर भागलपुर : यह आपके लिए दीक्षांत नहीं, बल्कि ज्ञानार्जन की दुनिया में आपका पहला कदम है. किताबी ज्ञान से ज्यादा शिक्षान्वेषी बनने की जरूरत है, ताकि बिहार शिक्षा के मामले में अपने गौरवशाली इतिहास को […]
दीक्षांत समारोह में मौजूद वक्ताओं ने युवाओं के डिग्री हासिल करने की जगह शिक्षान्वेषी बनने की जरूरत पर दिया जोर
भागलपुर : यह आपके लिए दीक्षांत नहीं, बल्कि ज्ञानार्जन की दुनिया में आपका पहला कदम है. किताबी ज्ञान से ज्यादा शिक्षान्वेषी बनने की जरूरत है, ताकि बिहार शिक्षा के मामले में अपने गौरवशाली इतिहास को एक बार पुन: हासिल कर सके. आज की तारीख में महज 13 प्रतिशत युवा ही उच्च शिक्षा हासिल कर पा रहे हैं, जबकि देश का आैसत 25 प्रतिशत है. ये बातें
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह में मौजूद शिक्षाविद्, राजनीतिज्ञ, प्रबुद्ध विचारकों ने कही. वक्तव्यों का लब्बोलुआब रहा कि किस तरह यहां के युवा डिग्री हासिल करनेवाला न बनकर इतना ज्ञानवान बनें, जिसका लाभ समाज एवं देश को मिले.
महामहिम रामनाथ कोविंद ने शिक्षा जगत में व्याप्त कमियों को दूर कर शिक्षा का ऐसा माहौल सृजन करने पर जोर दिया जिसमें बिहार शिक्षा के मामले में अपने गौरवशाली इतिहास की पुनरावृत्ति कर सके. महामहिम ने वैश्वीकरण के युग में शिक्षा के समक्ष आ रही नित नयी चुनौतियों को लेकर चिंता तो व्यक्त की ही, इससे पार पाने के लिए पारंपरिक अकादमिक शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक और राेजगारोन्मुखी शिक्षा पर जोर भी दिया.
टीएमबीयू के कुलपति प्रो रमाशंकर दुबे ने कहा कि आज के प्रतिस्पर्द्धात्मक युग में समाज और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में शिक्षा के माध्यम से हमें ऐसे युवाओं का सृजन करना है, जो कौशलयुक्त और उद्यमी हों तथा शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने पैरों पर खड़ा हो सके. शिक्षा मंत्री डॉ अशोक चौधरी ने भी वर्तमान शिक्षा एवं सिस्टम को आज के प्रतिस्पर्द्धात्मक युग के हिसाब से नाकाफी माना.