असफलता से लें सीख, उत्साह के साथ बढ़ें आगे
भागलपुर : असफल छात्राें को निराश नहीं होना चाहिए. बल्कि आगे बढ़ने के लिए फिर से प्रयास करना चाहिए. शहर के प्रबुद्धजनों का कहना है कि असफलता से छात्र घबरायें नहीं. कहां चूक हुई, इस बात को ध्यान में रखें. फिर उत्साह के साथ आगे बढ़ें. फिर सफलता उनकी कदम चूमेगी और वे दूसरों के […]
भागलपुर : असफल छात्राें को निराश नहीं होना चाहिए. बल्कि आगे बढ़ने के लिए फिर से प्रयास करना चाहिए. शहर के प्रबुद्धजनों का कहना है कि असफलता से छात्र घबरायें नहीं. कहां चूक हुई, इस बात को ध्यान में रखें. फिर उत्साह के साथ आगे बढ़ें. फिर सफलता उनकी कदम चूमेगी और वे दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन जायेंगे.
यह स्वाभाविक है कि सफलता से लोग उत्साहित होते हैं और विफलता से निराश. निराश होकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेना कोई समाधान नहीं है. यह एक डरपोक, अदूरदर्शी एवं निराशात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति ही कर सकते हैं. जीवन का दूसरा नाम ही संघर्ष है. कुछ कम नंबर आने या एक साल पीछे रह जाने से किसी को जीवन भर की विफलता के साथ जोड़ देना कहीं से भी समझदारी नहीं प्रतीत होती है.
यह क्षणिक है. बहुत सारे कारण हो सकते हैं, जिससे मेहनत का सही फल नहीं मिल पाता है. लोगों का आधार मजबूत होता है और अगले प्रयासों में जबरदस्त सफलता मिलती है. थामस एडीसन ने कहा था कि-असफलता की बहुत सारी कहानियां वैसे लोगों की है, जो ये नहीं जानते थे कि वे सफलता के कितने करीब पहुंच चुके थे. जब उन्होंने प्रयास करना छोड़ दिया.
राजीवकांत मिश्रा, शिक्षाविद्
विफलता के बाद ही अपनी कमजोरी मालूम होगी. इसके बाद ही उसका समाधान संभव है. जैसे ही अपनी कमजोरी का समाधान कर लेंगे, सफलता जरूर कदम चूमेगी. विफलता ही सफलता की सीढ़ी है. बिना विफलता के सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है. हर दिन नया होता है. कल अच्छा नहीं बीता है, तो आने वाला कल जरूर अच्छा जायेगा. क्षणिक दु:ख या क्षणिक विफलता जिंदगी का आकर्षण है. इसके बिना जिंदगी नीरस हो जायेगी.
क्षणिक विफलता को भी इंज्वॉय करना चाहिए. विफलता के बाद मिली सफलता अधिक अच्छी होती है. यह बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होता है. ऐसे कई उदाहरण आइंस्टीन, महात्मा गांधी, थामस एल्वा एडीसन आदि हैं, जो असफलता के बाद सफल हुए और महान व्यक्ति कहलाये.
वाचस्पति झा, शिक्षाविद्
असफलता से कभी भी नहीं घबरायें. जिंदगी का मूलमंत्र है पीछे नहीं मुड़ कर देखना है. हमेशा वर्तमान को देखना है और वर्तमान में ही जीना है. इसलिए अगर पूर्व में कोई असफलता मिली है, तो उससे मत घबरायें, लेकिन जिंदगी में अपना लक्ष्य जरूर चुनें और उसी लक्ष्य को लेकर आगे बढें. सफलता जरूर मिलेगी. मैंने अपनी जिंदगी में कई ऐसे विद्यार्थी को देखा है, जिन्होंने मैट्रिक या 12वीं की परीक्षा में औसत अंक पाये हैं.
लेकिन सफलता की जो मिसाल कायम की है, वो तारीफ के काबिल है. उनमें से अधिकतर आज बड़ी कंपनियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं या उन्होंने खुद की बड़ी कंपनियां खोल रखी हैं. अंत में एक बात जरूर याद रखें. आप जितने भी बड़े इनसान बन जायें. जिंदगी में नम्रता और इनसानियत को कभी नहीं भूलना चाहिए.
प्रदीप झुनझुनवाला, सीए, अध्यक्ष, इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
पद, पैसा और प्रतिष्ठा से कोई सफल नहीं होता है. कई ऐसे व्यक्ति हैं, जो बड़े-बड़े पद पर आसीन हैं, लेकिन क्रोध और अवसाद से ग्रसित हैं. कई पैसे वाले लोग हैं, जो अवसाद से ग्रसित होकर आत्महत्या कर रहे हैं. कई ऐसे सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं, जो भीतर से दु:खी हैं. ऐसे परिस्थिति में सफलता का आधार उक्त तीनों चीज नहीं है.
सफल व्यक्ति वहीं हैं, जो मुस्कुराते हैं. रविंद्रनाथ ठाकुर एवं आइंस्टाइन इसके उदाहरण हैं. इसलिए कोई परीक्षा में असफल हो जाते हैं, तो जीवन में कई अवसर आयेंगे, जो सफलता के दरवाजे के खोलेंगे. इससे घबराने की जरूरत नहीं है. जीवन में कई मौके आयेंगे. इसलिए असफलता से सीख लेते हुए आत्मचिंतन की जरूरत है कि हमसें कहां चूक हो गयी. फिर एक नये उत्साह व नये संकल्प के साथ आगे बढ़ना है.
अंशु सिंह, शिक्षाविद