भागलपुर: छात्र अंशुराज की विश्वविद्यालय थाने की जीप से हुई मौत के बाद आक्रोशित छात्रों व आमलोगों की पुलिस से हुई भिड़ंत की बहुत बड़ी कीमत कंपनीबाग के श्रवण कुमार के परिजनों को चुकानी पड़ रही है.
श्रवण कुमार केवल नाम से ही नहीं, काम से भी अपने माता-पिता व भाई के लिए ‘श्रवण कुमार’ की तरह ही था. श्रवण के जेल में बंद होने के कारण उसकी पान की दुकान बंद पड़ी है. घर की आर्थिक स्थिति डगमगा गयी है. परिजनों की आंखें श्रवण के घर आने के इंतजार में पथरा गयी है. श्रवण के बड़े भाई अरविंद कुमार ने बताया कि श्रवण ताड़र कॉलेज का छात्र है. वह इस बार 12वीं की परीक्षा देगा. कॉलेज से फॉर्म लेकर उन्होंने जेल में ही श्रवण से भरवाया है. उन्होंने बताया कि श्रवण के जेल में होने के कारण एक तो उसकी पढ़ाई चौपट हो गयी और दूसरा घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गयी है. श्रवण विश्वविद्यालय के सामने मुख्य मार्ग पर पान की दुकान चलाता था. उससे प्रतिदिन 300 रुपये की आमदनी हो जाया करती थी. इसमें कुछ रुपये वह अपनी पढ़ाई के लिए रख कर शेष सारी राशि घर में दे देता था.
इससे घर को बहुत हद तक सहारा मिल जाता था. लेकिन चार दिसंबर को उसके गिरफ्तार होने के बाद आज तक उसकी पान दुकान बंद पड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि श्रवण को जेल से छुड़ाने के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर में काफी पैसा खर्च हो रहा है. श्रवण के घर के पड़ोस में रहनेवाली एक महिला ने बताया कि चार दिसंबर को हुई पत्थरबाजी के दौरान कंपनीबाग के ही संजय कुमार का सिर फट गया था. उसके सिर से भारी मात्र में खून बह रहा था. तुरंत इलाज की जरूरत थी.
लिहाजा उसे इलाज कराने के लिए मोटरसाइकिल से लेकर श्रवण अस्पताल जा रहा था. श्रवण मोटरसाइकिल पर पीछे में बैठ कर घायल संजय को पकड़ कर ले जा रहा था. जैसे ही वह विश्वविद्यालय सड़क पर पहुंचा कि वहां पहले से मौजूद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. महिला ने बताया कि श्रवण पूरी तरह निर्दोष है. उसे बेवजह फंसा दिया गया है.