भागलपुर: पुलिस जीप के धक्के से छात्र अंशुराज की मौत को तो पुलिस भूल गयी लेकिन इस घटना के बाद पुलिस और थाने पर हुए हमले की उसने याद रखा. यही एक बड़ा कारण था कि इस मामले में छात्र सहित कईनिर्दोषलोगों को भी जेल में हफ्तों बिताना पड़ा.
वह भी तब जबकि एसएसपी ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को स्पीडी ट्रायल चलाने का निर्देश दिया था.
पुलिस जीप से धक्का लगने के बाद जख्मी हुए छात्र अंशुराज की मौत हो गयी थी. अंशुराज की मौत से उसके परिवार वाले ही नहीं उसके साथी छात्र भी दुखी हुए और विचलित हुए. पुलिस उनके जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए अपने बचाव में जुटी रही. इससे मामला गंभीर हो गया. पुलिस व प्रशासन के वरीय अधिकारी भी इस मामले को हलके में लेते रहे.
इसके बाद पुलिस व छात्रों में भिडंत हुई. पुलिस ने जम कर अपनी भड़ास निकाली. छात्र सहित ढाई दर्जन लोग जेल भेजे गये. पुलिस अपने ऊपर हुए विरोध से तिलमिलाई हुई थी. इसलिए उसने सुस्ती बरती. लेकिन जब छात्र संगठन व आम लोग सक्रिय हुए तब जाकर पुलिस की नींद खुली. पहले पुलिस का रवैया देख कर लगता था कि उसने इस फाइल को अन्य केसों की तरह बंद कर दिया हो. छात्र संगठन व जेल में बंद छात्रों व आम लोगों के परिजन सक्रिय हुए. फिर से आंदोलन का बादल मंडराने लगा तो पुलिस ने धड़ाधड़ अपना रिपोर्ट देना शुरू कर दिया. अगर पुलिस शुरू में ही सक्रिय होती तो निदरेष लोगों को जेल में दिन नहीं बिताना पड़ता. जबकि घटना के दो चार दिन बाद ही पुलिस ने डेढ़ दर्जन के खिलाफ किसी तरह के सबूत से इनकार किया था. लेकिन पुलिस को तो लोगों की चिंता व परेशानी से अलग अपनी शान की चिंता थी.