साहित्यकारों व कलाकारों को जोड़ने में माहिर थे हरिलाल कुंज
भागलपुर : एमपी द्विवेदी पथ स्टेशन चौक निवासी हरिकुंज बहु आयामी प्रतिभा के धनी थे. एक सफल चित्रकार, फोटोग्राफर, फिल्मकार, रंगकर्मी, गायक, संगीतकार के साथ-साथ साहित्यकार थे. शुक्रवार को उनकी जयंती है. उनका जन्म 10 जून 1921 को हुआ था. उन्होंने चंगेज खां, बाबरी मीरा, विद्रोही संथाल, राजलक्ष्मी नाटक की रचना की. मेरे नयनो के […]
भागलपुर : एमपी द्विवेदी पथ स्टेशन चौक निवासी हरिकुंज बहु आयामी प्रतिभा के धनी थे. एक सफल चित्रकार, फोटोग्राफर, फिल्मकार, रंगकर्मी, गायक, संगीतकार के साथ-साथ साहित्यकार थे. शुक्रवार को उनकी जयंती है. उनका जन्म 10 जून 1921 को हुआ था. उन्होंने चंगेज खां, बाबरी मीरा, विद्रोही संथाल, राजलक्ष्मी नाटक की रचना की. मेरे नयनो के पानी, अभी मत छोड़ मुझे तू प्राण, जुदाई कैसी होती है…
आदि गीत की रचना की. उनकी अन्य कृतियों में ब्रजोन्माद, मीरा बाई, आधुनिक भजन आदि है. उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी कि देश के चोटी के साहित्यकारों को अपने साथ जाेड़े रखा. चाहे राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, बांग्ला साहित्यकार वनफूल, तारकेश्वर प्रसाद, बाबा नागार्जुन, आनंद शंकर माधवन, हंस कुमार तिवारी, पंडित इंदू भूषण गोस्वामी आदि ही क्यों नहीं हो.