हत्या का आरोपी साला पटना में गिरफ्तार

सन्हौला : देवेंद्र साह के शव काे पोस्टमार्टम के बाद सोमवार की देर रात महदेवापुर स्थित उसके घर पर लगाया गया. परिजनों ने मंगलवार को उसका अंतिम संस्कार कर दिया. मृतक के पिता भोपाल साह के बयान पर थाना में मृतक के साला राकेश कुमार, उसके पिता सुरेश साह और उसकी पत्नी तथा रूपेश साह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 15, 2016 6:16 AM

सन्हौला : देवेंद्र साह के शव काे पोस्टमार्टम के बाद सोमवार की देर रात महदेवापुर स्थित उसके घर पर लगाया गया. परिजनों ने मंगलवार को उसका अंतिम संस्कार कर दिया. मृतक के पिता भोपाल साह के बयान पर थाना में मृतक के साला राकेश कुमार, उसके पिता सुरेश साह और उसकी पत्नी तथा रूपेश साह सहित पांच लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है.

दर्ज प्राथमिकी के अनुसार सभी आरोपी हथियार लेकर दवेंद्र के घर में घुस गये और पिस्तौल तान कर कहा देवेंद्र कहां है. इसी बीच देंवेंद्र घर से बाहर निकला तो राकेश ने उस पर गोली चला दी. भोला साह ने कहा है कि इसी दौरान मुझे और मेरी पत्नी जयमाला तथा पुत्र संतोष कुमार को भी मारने का प्रयास उन लोगों ने किया. हम लोग जान बचा कर भागे. पूर्व में आरोपियों ने देवेंद्र को जान से मारने की धमकी दी थी. देवेंद्रर के ससुराल वाले चाह रहे थे कि यहां की मीन बेच कर वह उनका घरजमाई बन जाये. देवेंद्र इसका विरोध कर रहा था कि.

पैसे के लोभ में गयी जान : देवेंद्र कुमार के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी है. इसके बावजूद उस पर पैसे के लिए पत्नी को प्रताड़ित करने का आरोप है. उसके ससुराल वालों का कहना है कि पैसे के लिए वह अपनी पत्नी गुड़िया को प्रताड़ित करता था. देवेंद्र की हत्या के बाद उसके तीनों बच्चे अभी दादा-दादी के ही पास हैं.
कहते हैं एसडीपीओ : कहलगांव के एसडीपीओ रामानंद कुमार कौशल ने बताया कि हत्यारोपी राकेश कुमार को पटना में गिरफ्तार कर लिया गया है. वह किसी जज का गार्ड है.
इधर मृतक के ससुर ने कहा, छह साल में मेरी बेटी को एक दिन भी नहीं मिला चैन
मृतक के ससुर व गुड़िया देवी के पिता का कहना है कि छह साल पहले चार लाख रुपये दहेज देकर बेटी की शादी की थी, लेकिन ससुराल में उसे कभी सुख नहीं मिला. बेटी के नाम से 34 लाख का बीमा है. बीमा की राशि के लोभ में वे लोग हमेशा गुड़िया को प्रताड़ित करते थे. छह साल में गुड़िया को कभी भी ससुराल में खुशी नहीं मिली. उसके साथ आये दिन मारपीट की जाती थी. लगातार चार-पांच दिन तक बंद कमरे में रखा जाता था.
गर्म छोलनी या रॉड से दागा जाता था. 11 जून को मृतक के पिता ने ही समधी सुरेश साह को फोन कर गुड़िया को ले जाने को कह कर बुलाया. सोमवार को विदागी हुई, लेकिन देवेंद्र अपने पुत्र-पुत्री को नहीं जाने दे रहा था. इसे लेकर विवाद बढ़ता गया. इससे देवेंद्र का साला राकेश का आक्रोश बढ़ गया.

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