अतिक्रमण हटा: किराये के घर में तो कोई आसमान के नीचे

भागलपुर:अभियान के बाद एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों परिवार बेघर हो गये. किसी के बेटी की शादी रुक गयी है तो किसी के बेटे की पढ़ाई बाधित होने को है. कोई बीमार बूढ़ा बाहर आसमान के नीचे अपनी किस्मत पर रो रहा है तो कोई मां अपने मासूम बच्चे को खुले आसमान के नीचे दूध पिलाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2016 7:54 AM
भागलपुर:अभियान के बाद एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों परिवार बेघर हो गये. किसी के बेटी की शादी रुक गयी है तो किसी के बेटे की पढ़ाई बाधित होने को है. कोई बीमार बूढ़ा बाहर आसमान के नीचे अपनी किस्मत पर रो रहा है तो कोई मां अपने मासूम बच्चे को खुले आसमान के नीचे दूध पिलाने को मजबूर है.
कई लोगों ने तो अपने घर के सामान के साथ सपरिवार अपने रिश्तेदार, दोस्तों के घर या किराये के मकान में शिफ्ट हो चुके हैं. तो कई के सिर पर अभी भी छत नहीं और घर का सामान खुले आसमां के नीचे बाहर पड़ा हुआ है. रह-रहकर आसमां में छा रहे काले बादल इनके तन-बदन में सिहरन पैदा कर रहे हैं. इनकी आंखों में बेघर होने की नमी और दिल में मौसम की मार खाने का भय हरवक्त बना हुआ है.
मायागंज में कार्यरत शीला कुमारी की बिटिया पूजा रानी की शादी 13 जुलाई काे है. जब सारा घर शादी की तैयारी में जुटा हुआ था. ऐसे में यह अभियान इनकी खुशियों पर वज्रपात बनकर गिरा. 24 घंटा बीतने के बाद बिटिया की शादी का कार्ड से लेकर हर सामान तक एक रिश्तेदार के घर रखा हुआ है और शीला कुमारी ड्यूटी करने के बाद किराये का मकान खोजने में जुटी हुई हैं. अनुमंडल अस्पताल कहलगांव में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी चिंता कुमारी के घर में चार बेटा, एक अविवाहित बेटी व दो बहू समेत दस लोगों का भरा-पूरा परिवार है. 24 घंटा पहले इन्हें भी प्रशासन ने बेघर कर दिया. शुक्रवार को घर का सामान बाहर रखा हुआ था. किराये का मकान खोजा जा रहा था. और पूरा परिवार खुले आसमान के नीचे जिला अस्पताल परिसर में बैठा हुआ था.
हटाये दुकानदार खोज रहे नया ठिकाना
भागलपुर. सैंडिस कंपाउंड के चारों ओर से हटाये गये फुटपाथी दुकानदार शुक्रवार को सड़क से दूर हट कोने-कातर में दुकानदारी करने का प्रयास करते रहे. सैंडिस कंपाउंड से नौलखा होते हुए घूरनपीर स्थान आने वाली सड़क किनारे दो दिन पहले तक फुटपाथी दुकानदारों की लंबी कतारें रहती थी. शुक्रवार को दो-चार दुकानदार पेड़ के चौपाल पर दुकानदारी करते रहे, तो कुछ फुटपाथी दुकानदार यात्री शेड में अपनी दुकान चलाने को विवश दिखे. उनका कहना था कि अतिक्रमण हटाया गया, ठीक है. इसके बदले रोजगार के लिए उपयुक्त स्थान दें.
दंगा में मिला था शरण और जम गये
1989 में हुए सांप्रदायिक दंगे में सुरक्षा के ख्याल से कॉलेजों के हॉस्टल के छात्रों को कैंप बना कर शरण दिया गया था. इसके बाद वे लोग पीढ़ी दर पीढ़ी रहने लगे. इसी का फायदा असामाजिक तत्वों ने भी उठाया और यहां पर जुआ व शराबियों का अड्डा तक बन गया. शहर में इस बात की चर्चा है कि सदर अस्पताल से अतिक्रमणकारियों को हटाना पूरी तरह से जायज है.वहीं दूसरी आेर शहर में यह भी चर्चा हो रही है कि फुटपाथ से हटाये गये ऐसे दुकानदार जिनका सामान लाखों का था, उसे हटाने का समय मिलना चाहिए.

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