मालदा है जाली नोटों की बड़ी मंडी

भागलपुर: जाली नोटों के सौदागरों का जाल बड़ा मजबूत है. बांग्लादेश से लेकर नेपाल, कोसी व सीमांचल तथा पूर्व बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल तक इनका नेटवर्क फैला हुआ है. पश्चिम बंगाल का मालदह जाली नोटों की बड़ी मंडी है. बांग्लादेश से कलियाचक के रास्ते यहां जाली नोट पहुंचता है उसके बाद कटिहार, साहिबगंज के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2014 10:23 AM

भागलपुर: जाली नोटों के सौदागरों का जाल बड़ा मजबूत है. बांग्लादेश से लेकर नेपाल, कोसी व सीमांचल तथा पूर्व बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल तक इनका नेटवर्क फैला हुआ है. पश्चिम बंगाल का मालदह जाली नोटों की बड़ी मंडी है. बांग्लादेश से कलियाचक के रास्ते यहां जाली नोट पहुंचता है उसके बाद कटिहार, साहिबगंज के रास्ते भागलपुर, पूर्णिया व अन्य जगहों पर पहुंचता है.

बांग्लादेश से किशनगंज और नेपाल से फरबिसगंज अररिया के रास्ते भी जाली नोटों के कारोबारी नोट को खपाते है. नेपाल से रक्सौल के रास्ते मुजफ्फरपुर भी जाली नोट पहुंचता है. जाली नोटों के सौदागर इसे खपाने व एक – दूसरे जगह पहुंचाने के लिए ‘कैरियर’ के जरिए खपाते हैं. सूत्रों के अनुसार एक लाख का ‘ए’ ग्रेड जाली नोट के लिए 50 हजार व बी ग्रेड के लिए 40़ हजार खर्च करना पड़ता है. जबकि सी ग्रेड का एक लाख जाली नोट 15 से 20 हजार रुपये में मिल जाता है. ए ग्रेड को जाली नोट का पकड़ना मुश्किल है इसमें हर नोट की अलग- अलग संख्या होती है. सी ग्रेड का जाली नोट ग्रामीण व जनजाति क्षेत्रों खासकर जहां गरीब तबके के लोग अधिक रहते हैं वहां खपाया जाता है. कुछ जगह स्कैन वाले जाली नोट के खपाने की भी सूचना है. जाली नोटों के कथित एजेंटों का कोड नंबर होता है. किशनगंज भी जाली नोटों का एक बड़ा सेंटर है. यहां से बांग्लादेश की सीमा महज 20-22 किलोमीटर दूरी पर है.

हाल के वर्षो में भागलपुर में भी जाली नोटों के सौदागरों ने अपना नेटवर्क मजबूत किया है. इसका संचालन घोघा से होता है. डेढ़ साल पहले तिलकामांझी में पुलिस ने छापामारी कर जाली नोटों के कारोबारी को पकड़ा था. उसका भी लिंक घोघा से जुड़ा हुआ था. जानकार बताते हैं कि पहले चीन निर्मित सिल्क धागे की तस्करी बड़े पैमाने पर होती थी. अब उसी नेटवर्क से जुड़े कुछ लोग इस नेटवर्क में शामिल हो गये हैं. सिल्क धागे की तस्करी के समय भी घोघा उसका बड़ा सेंटर था. पुलिस ने जाली नोटों के सिलसिले में जिन लोगों को गिरफ्तार किया है उनसे पूछताछ के दौरान कई अहम जानकारियां मिली है जिसे पुलिस नहीं बता रही है. पुलिस सूत्रों के अनुसार इस गोरखधंधे में कई सफेदपोश शामिल हैं. पुलिस को इसके स्थानीय नेटवर्क के सरगना की तलाश है. बताया जाता है कि कथित एजेंट को अच्छा खासा कमीशन नोट खपाने की एवज में मिलता है.

ऐसे करें असली व नकली नोट की पहचान

महात्मा गांधी के बगल में पट्टी को आड़ा-तिरछा कर देखे कि उसमें संबंधित नोट का अंक लिखा रहता है.

नोट के बीच में सिल्वर की पूरी पट्टी पर भारत और आरबीआइ लिखा रहता है.

नोट के बीचोबीच अंक में लिखा हुआ एक हजार या पांच सौ उसके आड़ा-तिरछा करने पर रंग बदलता है.

नोट के सफदे गोल पट्टी पर गौर से देखने पर महात्मा गांधी की तसवीर दिखायी पड़ती है.

एक हजार के नोट पर ठीक बायीं ओर अशोक स्तंभ के ऊपर फूल के चित्र में एक हजार लिखा रहता है.

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