तिलकामांझी पर लिख कर भागलपुर से जुड़ गयीं थीं महाश्वेता देवी
प्रसिद्ध लेखिका सह सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी के निधन पर बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं में शोक भागलपुर : अपनी लेखनी व सामाजिक कार्यों के लिए ज्ञानपीठ समेत राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पानेवालीं महाश्वेता देवी का भागलपुर से भी जुड़ाव था. शहीद तिलकामांझी पर उन्होंने लिखा था. उनके निधन से शहर के बुद्धिजीवी, साहित्यकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं […]
प्रसिद्ध लेखिका सह सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी के निधन पर बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं में शोक
भागलपुर : अपनी लेखनी व सामाजिक कार्यों के लिए ज्ञानपीठ समेत राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पानेवालीं महाश्वेता देवी का भागलपुर से भी जुड़ाव था. शहीद तिलकामांझी पर उन्होंने लिखा था. उनके निधन से शहर के बुद्धिजीवी, साहित्यकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं में शोक की लहर है.
वयोवृद्ध समाजसेवी मुकुटधारी अग्रवाल बताते हैं कि आदिवासियों के बीच महाश्वेता देवी ने उनके कल्याण, अधिकार व प्रोत्साहन के लिए बहुत दिनों तक काम किया. उन्होंने अमर शहीद तिलकामांझी पर भी अपनी कलम चलायी थीं. अब उनके निधन से निम्न वर्ग के लोगों ने अपना मसीहा को खो दिया है, तो साहित्यकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने प्रेरणास्रोत को. संस्कृतिकर्मी प्रो चंद्रेश ने बताया कि तिलकामांझी के चरित्र को केंद्र में रखकर एक महत्वपूर्ण उपन्यास सालगिरह की पुकार उन्होंने लिखी थी. यह उपन्यास बहुत ही लोकप्रिय हुआ था. यह पहली बार किसी उपन्यास के जरिये पाठकों के सामने लाया गया था.
यह अपने आप में महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि इप्टा, भागलपुर के कलाकारों ने 2007 में इस उपन्यास को केंद्र में रखकर इसका नाटकीय मंचन किया था, जो काफी लोकप्रिय हुआ था. महाश्वेता देवी हमेशा गरीब-शोषित-पीड़ित जनता की आवाज बन कर लोगों के सामने आती रहीं. सामाजिक कार्यकर्ता देवाशीष बनर्जी ने कहा कि बुद्धिजीवियों ने एक विद्वान को खो दिया. जिन्होंने न उम्र का ख्याल किया और न किसी क्षेत्र का. हरेक स्थानों पर अपनी नीति व सिद्धांत पर तटस्थ रहीं.