लोड कम कर पैसे बचा रही कंपनी

परेशानी. 15 से 20 मेगावाट तक उपभोक्ताओं को नहीं मिलती बिजली शहर को कम बिजली देकर पैसे बचाने का असलियत उजागर होने के बाद भी फ्रेंचाइजी कंपनी पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. कंपनी द्वारा बिजली से पैसे बचाने का सिलसिला जारी है. भागलपुर : शहरी क्षेत्र के आठ विद्युत उपकेंद्रों में 91.30 एमवीए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 5, 2016 6:17 AM

परेशानी. 15 से 20 मेगावाट तक उपभोक्ताओं को नहीं मिलती बिजली

शहर को कम बिजली देकर पैसे बचाने का असलियत उजागर होने के बाद भी फ्रेंचाइजी कंपनी पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. कंपनी द्वारा बिजली से पैसे बचाने का सिलसिला जारी है.
भागलपुर : शहरी क्षेत्र के आठ विद्युत उपकेंद्रों में 91.30 एमवीए (3.15 से लेकर 10 एमवीए तक क्षमता) के 16 पावर ट्रांसफॉर्मर लगे हैं, जिससे सबौर ग्रिड से अधिकतम 70 से 75 मेगावाट तक बिजली ली जा सकती है मगर, इसकी तुलना में 55 से 60 मेगावाट तक ही बिजली ली जा रही है. इस तरह से 15 से 20 मेगावाट तक बिजली आपूर्ति नहीं करके हर दिन लाखों-करोड़ों रुपये बचत करती है.
मालूम हो कि पिछले दिनों में अलीगंज विद्युत उपकेंद्र की जांच के दौरान सामने आया था कि तीन पावर ट्रांसफॉर्मर पर 17 मेगावाट बिजली लोड लिया जा सकता है, मगर अधिकतम 13 मेगावाट ही बिजली लेती है और चार मेगावाट बिजली उपभोक्ताओं को आपूर्ति नहीं करके पैसे की बचत कर रही है.
सेटिंग से लोड बढ़ते ही स्वत: बिजली हो जाती कट
पावर ट्रांसफॉर्मर में इस तरह से सेटिंग की गयी है कि लोड बढ़ते ही खुद-ब-खुद बिजली कट हो जाती है. इसके बाद संबंधित विद्युत उपकेंद्र के कोई एक फीडर को लोड शेडिंग में चला जाता है. कभी कभार लोड मेंटेन करने के लिए दो फीडर तक की बिजली कट करनी पड़ती है.
फुल लोड बिजली लिया जाये, तो कट की नहीं रहेगी गुंजाइश : फुल लोड बिजली लिया जाये, तो फीडर कट करने की गुंजाइश नहीं रहेगी. एक साथ सभी फीडर को बराबर-बराबर बिजली आपूर्ति होगी. समूचा शहर एक साथ रोशन होने लगेगा. मगर, बिजली कट की वजह से कोई एक इलाका रोशन होता है, तो दूसरा अंधेरे में डूबा रहता है.

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