लाडले की राइटिंग बदले तो खतरे की घंटी

भागलपुर : अगर आपके बेटे-बेटी की सुंदर लिखावट (हैंडराइटिंग) अचानक से खराब होने लगती है या वो कॉपी में कुछ अक्षर उलटे बनाने लगे, तो सावधान हो जाएं यह गंभीर बीमारी की शुरुआत हो सकती है. पढ़ाई का तनाव, घटती पारिवारिक खुशियां, बच्चों पर महत्वाकांक्षाओं का हद से ज्यादा बोझ सहित तमाम कारणों से बच्चों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2016 6:24 AM

भागलपुर : अगर आपके बेटे-बेटी की सुंदर लिखावट (हैंडराइटिंग) अचानक से खराब होने लगती है या वो कॉपी में कुछ अक्षर उलटे बनाने लगे, तो सावधान हो जाएं यह गंभीर बीमारी की शुरुआत हो सकती है. पढ़ाई का तनाव, घटती पारिवारिक खुशियां, बच्चों पर महत्वाकांक्षाओं का हद से ज्यादा बोझ सहित तमाम कारणों से बच्चों में साइकोमेट्रिक डिजीज का खतरा लगातार बढ़ रहा है. स्थिति यह है कि पांच फीसदी बच्चे किसी न किसी रूप में इसके शिकार हो रहे हैं. यह कहना है मु्ंबई के विश्व प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ बकुल पारेख का. हाल ही में जारी अपने एक शोध पत्र में डॉ पारेख ने बताया है कि बच्चों की इस बीमारी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है सोशल (सामाजिक) और मोरल (नैतिक) वैल्यू में होनेवाला टकराव.

डॉ पारेख ने उदाहरण देते हुए कहा है कि क्लास में 75 फीसदी बच्चे स्मोकिंग सहित तमाम गलत काम करते हैं. वहीं, 25 फीसदी बच्चे यह सब नहीं करते,लेकिन दोस्त उन्हें दब्बू या अन्य नामों से बुलाते हैं. इसका उनके दिमाग पर गहरा असर पड़ता है और वे 25 फीसदी हर मामले में अच्छे बच्चे धीरे-धीरे खुद को लूजर (हारा हुआ) समझने लगते हैं.
क्या है लक्षण : बच्चों की हैंडराइटिंग खराब होना, व्यवहार में अचानक बदलाव, अकेले रहना, बड़ी उम्र में भी बिस्तर गीला करना, रिजल्ट में गिरावट, चुपचाप और खोया-खोया रहना. भूख खूब लगना या बिलकुल भी नहीं लगना आदि. ऐसे करें बचाव. आप को अपने बच्चे में कुछ भी अलग तरह का बदलाव दिखे तो तुरंत किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से तुरंत मिलें. बच्चों पर अपने अरमानों का बोझ बिलकुल न डालें. बच्चों की पसंद का भी पूरा खयाल रखें. बच्चों से खूब दोस्ताना बात करें, उनकी समस्या जानें- उनका निदान करें. बच्चों का पूरा समय दें, उन्हें समय-समय पर पिकनिक पर ले जाएं.
जल्द आयेगा .
नयी बीमारी : बच्चों पर न डालें अरमानों का बोझ
होगी सहूलियत
डेंगू का टीका: डेंगू की वजह से देश में हर साल अच्छी-खासी तादाद में लोगों की मौत हो जाती है. इसका प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है. डेंगू से बचाव का टीका तैयारी के अंतिम चरण में है. उम्मीद है कि एक साल के अंदर ही डेंगू का टीका बाजार में आ जायेगा. इससे बड़ी आबादी को जान के जोखिम से बचाया जा सकेगा.
टायफॉइड का भी टीका: बच्चों का टायफायड से बचाने के लिए अब तक जो प्रचलित बैक्सीन है. इसका तीन डोज देना होता है. अब जल्द ही इसकी जगह कॉन्ज्यूरेटेड वैक्सीन आनेवाली है. इसका महज एक डोज ही काफी होगा

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