दोहरी मार ने रुला दिया केला किसानों को

भागलपुर : बाढ़ ने हर तरफ तबाही मचायी. सबसे अधिक क्षति नवगछिया के केला किसानों को हुई है. इस बाढ़ में लगभग दस हजार एकड़ में लगी फसल पूरी तरह बरबाद हो गयी है. इस बरबादी से िकसानों को लगभग सौ करोड़ की क्षति हुई है. सोमवार को कटिहार के बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2016 5:44 AM

भागलपुर : बाढ़ ने हर तरफ तबाही मचायी. सबसे अधिक क्षति नवगछिया के केला किसानों को हुई है. इस बाढ़ में लगभग दस हजार एकड़ में लगी फसल पूरी तरह बरबाद हो गयी है. इस बरबादी से िकसानों को लगभग सौ करोड़ की क्षति हुई है. सोमवार को कटिहार के बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा सीएम ने किया.

सीएम ने भी माना कि केला की फसल को अधिक क्षति हुई है. इसके बाद सीएम ने यह घोषणा भी की कि केला किसानों काे मुआवजा दिया जायेगा. इस घोषणा ने किसानों के दर्द पर मरहम तो लगाया है लेकिन जो क्षति हुई है, उसकी टीस आनेवाले कई माह तक किसानों को रहेगी.

काठमांडू से दिल्ली तक जाता है नवगछिया का केला
सावन से ही केला के व्यापारियों का नवगछिया आना शुरू हो जाता है. नेपाल सहित यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों में यहां का केला जाता है. बाढ़ के बाद व्यापारी भी गायब हो गये. ऐसे में किसानों को कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि वे क्या करें.
किसी ने कर्ज तो किसी ने लीज पर जमीन ले की थी खेती
नवगछिया में बड़े पैमाने पर केला की खेती होती है. इस बार गोपालपुर, रंगरा, इस्माइलपुर, नवगछिया, खरीक का इलाका बाढ़ से प्रभावित हुआ. महदत्तपुर के विद्यानंद सिंह, अजय सिंह, तेलघी के विजय सिंह, तुलसीपुर के सोनू राय, ध्रुवगंज के मनीष कुमार, संजीव राय, खरीक के भीम मोदी, जमुनिया के मो मुबारक, मो नसीम, पकड़ा के अजीत सिंह आदि किसानों ने कहा कि इस बार बाढ़ ने तो बरबाद ही कर दिया.
इन किसानों में किसी ने लीज पर खेती की थी तो किसी ने बैंक से कर्ज लेकर. अब बाढ़ ने सब कुछ छीन लिया. किसान साेनू राय कहते हैं कि कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं. बाढ़ ने तो अरमानों पर ही पानी फेर दिया. गोपालपुर के संजीव सिंह कहते हैं कि सोचा था कि इस बार फसल अच्छी हुई है. बेटी की शादी अच्छे से करूंगा लेकिन बाढ़ ने तो सब कुछ बरबाद ही कर दिया.
दस हजार एकड़ में लगी फसल हुई बरबाद
अच्छा मुनाफा देख किसानों की रुचि केला की खेतों में
अमूमन एक बीघा की खेती में औसतन साठ हजार का खर्च आता है. यदि लीज पर जमीन लेकर खेती की तो नब्बे हजार तक का खर्च है. यदि केला सावन में कटता है तो एक बीघा में औसतन दो लाख तक आमद होती है. यही कारण है कि किसान इसकी खेती की ओर आकर्षित होते हैं. लेकिन पानी लगने के बाद दो दिन भी केला का पौधा गल जाता है. यही कारण है कि बाढ़ का पानी घुसने के बाद यह पूरी तरह बरबाद हो जाता है.
अभी एक बीघा की केला िबकने पर औसतन डेढ़ लाख से एक लाख साठ हजार तक किसानों को मिल रहा था. ऐसे में दस हजार एकड़ की बर्बादी पर किसानों को लगभग सौ करोड़ की चपत लगी.
पड़ी दोहरी मार
एक तो फसल डूबने से किसानों को क्षति तो हुई ही. इसके बाद खेत में पानी घुस जाने के कारण अब उसे काटा भी नहीं जा सकता है. पानी जब तक निकलेगा, उसके बाद ही इस जमीन पर कोई दूसरी फसल लगायी जा सकती है. तब तक केला का सीजन ऑफ हो जाता है. यही कारण है कि बाढ़ ने किसानों को दाेहरी क्षति पहुंचायी.
उठने लगी है ऋण माफी की मांग
किसानों को क्षति के साथ ही ऋण माफी की मांग भी जोर पकड़ने लगी है. जिप सदस्य गौरव राय, सैदपुर के मुखिया प्रतिनिधि गुड्डू सिंह, डिमहा के मुखिया अजय चौधरी, भाजपा नेता डॉ नितेश यादव आदि ने कहा कि सरकार मुआवजा के साथ ही केला किसानों का ऋण भी माफ करे. नहीं तो उनके पास दिल्ली या पंजाब जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा.

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