गांव जाने का मूड बनाने लगे बाढ़ पीड़ित

भागलपुर: दियारा के ऊंचे पर स्थित गांव का पानी पूरी तरह उतर चुका है, लेकिन यहां पर अब भी कीचड़ है. बाढ़ पीड़ित अपने गांव में पानी सूखने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि अपने घर में फिर से सामान्य रूप से रहना शुरू कर दे. महाशय ड्योढ़ी में ठहरे बैरिया गांव के रघुवंश साह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 3, 2016 9:36 AM
भागलपुर: दियारा के ऊंचे पर स्थित गांव का पानी पूरी तरह उतर चुका है, लेकिन यहां पर अब भी कीचड़ है. बाढ़ पीड़ित अपने गांव में पानी सूखने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि अपने घर में फिर से सामान्य रूप से रहना शुरू कर दे. महाशय ड्योढ़ी में ठहरे बैरिया गांव के रघुवंश साह का कहना है कि बाढ़ राहत शिविर में रहने में दिक्कत हो रही है. मजबूरी में यहां पर एक साथ रहना पड़ रहा है. एक सप्ताह के अंदर बैरिया गांव का पानी पूरी तरह से सूख जायेगा और रहने लायक हो जायेगा.
10 दिनों के अंदर घर को दुरुस्त कर लिया जायेगा. 15 दिनों में यहां का जनजीवन सामान्य हो जायेगा और गांव की चाैपाल पर लोगों का मजमा जुटने लगेगा. यहां पर गांव की राजनीति से लेकर देश-विदेश व प्रदेश की राजनीतिक-सामाजिक व अलग-अलग विषयों पर चर्चाएं सुनने को मिलने लगेगी. दूसरे बाढ़ पीड़ित विंदेश्वरी साह ने बताया कि यहां पर नगर निगम की ओर से जितनी भी सफाई की व्यवस्था कर दिया जाये, लेकिन घर जैसा रहन-सहन नहीं मिल सकता. महाशय ड्योढ़ी में सब कुछ सामान्य था. यहां के लोगों को प्रोजेक्टर पर बॉर्डर, लगान जैसी सामाजिक व देशभक्ति फिल्में दिखायी जा रही हैं.
दशहरा तक ही बसा सकेंगे अपना आशियाना
टीएनबी कॉलेजिएट परिसर में ठहरे बाढ़ पीड़ितों की मानें तो उनके शंकरपुर, दारापुर, चौवनिया दियारा गांव का पानी घटते-घटते 15 दिन से अधिक लगेगा. यहां पर दलदली जमीन है. पूरी तरह से रहने लायक 20 दिन के बाद ही हो सकेगा. यहां के टुनटुन महतो का कहना है कि इस क्षेत्र में 800 घर है, जिसमें 25 फीसदी लोगों का घर गिर गया है. अपने घर को व्यवस्थित करने में समय लगेगा. दारापुर के शत्रुघ्न मंडल, शंकरपुर के लाटो महतो का कहना है कि इन क्षेत्रों में लगभग 300 घर गिर गया. इसे फिर से बनाने में दशहरा तक का समय लगना तय है. शिविर में किसी तरह की दिक्कत नहीं है. केवल मवेशियों के लिए चारा की दिक्कत है, जो खुद किसी तरह से उपलब्ध कर रहे हैं.

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