जेएलएनएमसीएच के बाहर सर्पदंश के मरीज का झाड़-फूंक करते ओझा.
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डॉक्टरी इलाज नहीं झाड़-फूंक पर विश्वास
जेएलएनएमसीएच के बाहर सर्पदंश के मरीज का झाड़-फूंक करते ओझा. भागलपुर : मायागंज अस्पताल परिसर कुछ देर के लिए झाड़-फूंक केंद्र बन गया. सोमवार को देर रात अपने मरीज को लगातार अचेतावस्था में देख कर परिजनों के होश उड़ गये और झाड़-फूंक करनेवालों को बुला लाये. डॉक्टरी इलाज छुड़ा कर सांप के काटने से बेहोश […]
भागलपुर : मायागंज अस्पताल परिसर कुछ देर के लिए झाड़-फूंक केंद्र बन गया. सोमवार को देर रात अपने मरीज को लगातार अचेतावस्था में देख कर परिजनों के होश उड़ गये और झाड़-फूंक करनेवालों को बुला लाये. डॉक्टरी इलाज छुड़ा कर सांप के काटने से बेहोश किशोर का झाड़-फूंक से उपचार शुरू हो गया.
परिजनों ने बताया कि सोमवार को दोपहर में तारापुर प्रखंड के अंतर्गत लौना गांव के दिवंगत मनोज बिंद के पुत्र नीरज (16) पास के ही गंगटी नदी में अपने दोस्तों के साथ नहाने गया था. नहाने के क्रम में ही किसी जलीय जीव ने काट लिया. परिजनों का मानना है कि सांप ने काटा है. उसे स्थानीय अस्पताल में दिखाया गया, जहां मामला गंभीर होते देख, उसे मायागंज अस्पताल रेफर कर दिया. उसे देर शाम मायागंज अस्पताल लाया गया. यहां पर जब मरीज आया तो वह होश में था. इलाज के क्रम में वह अचेत हो गया. जैसे ही अचेत हुआ,
परिजनों का भरोसा डॉक्टर से उठने लगे. इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना था कि उन्होंने अभी जवाब नहीं दिया. इससे पहले ही परिजनों ने मरीज को बेड से उठाकर बाहर कर लिया. पहले अस्पताल परिसर में ही झाड़-फूंक शुरू हो गयी, फिर उसे मुख्य द्वार पर रसदपुर के पांच सदस्यों की टोली रामदेव के नेतृत्व में नीम के पत्ते से झाड़-फूंक करने लगे. महिलाएं विषहरी माता की मनौन गाने लगी.
ऊहापोह में रहे परिजन : कभी परिजन विषहरी स्थान जाने की बात करते, कभी झाड़-फूंक करते हुए घर जाने की बात करते. स्थानीय लोगों के कहने पर पास ही के विषहरी स्थान पर ले जाकर झाड़-फूंक का खेल शुरू हो गया.
पुलिस ने झाड़-फूंक वाले को हड़काया, भागने का देखने लगे रास्ता
बरारी थाना की पुलिस से जब डॉक्टरों ने पूरी घटना बतायी, तो पुलिस ने झाड़-फूंक करने वाले हड़काया और कहा कि चलो थाना. सब अपना नाम बताओ. क्या तुम लोग इसकी जान बचाने की गारंटी लेते हो. इस पर झाड़-फूंक करने वाले भागने का रास्ता देखने लगे. फिर पुलिस वाले भी सांप काटने का मामला देख कर थोड़े नरम हो गये. परिजनों के कहने पर झाड़-फूंक का खेल शुरू हो गया, जो देर रात तक चलता रहा. कोई उसका शरीर छू कर देखता कि सांस चल रही है या देह गरम है या नहीं. अंतिम सांस तक लोग झाड़-फूंक कराने पर तूले रहे.
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