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संतान की दीर्घायु के लिए महिलाएं करती हैं जिउतिया व्रत

सुलतानगंज : संतानों की दीर्घायु के लिए महिलाओं द्वारा किया जाने वाला जिउतिया व्रत गुरुवार को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. आश्विन कृष्ण पक्ष सप्तमी से रहित शुभ अष्टमी तिथि को विधि-विधान से व्रत कर नवमी को पारण किया जाता है. प्रभात खबर डिजिटल प्रीमियम स्टोरीSpies In Mauryan Dynasty : मौर्य काल से ही चल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 22, 2016 5:27 AM

सुलतानगंज : संतानों की दीर्घायु के लिए महिलाओं द्वारा किया जाने वाला जिउतिया व्रत गुरुवार को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. आश्विन कृष्ण पक्ष सप्तमी से रहित शुभ अष्टमी तिथि को विधि-विधान से व्रत कर नवमी को पारण किया जाता है.

पंडित शालीग्राम झा ने बताया कि जीमूत वाहन नाम का एक राजा था. राजा ने स्त्री से बेटा के मरने का कारण पूछा तथा गरुड़ द्वारा प्रतिदिन किसी न किसी संतान को खा जाने की बात कही. राजा ने गरुड़ के पास पहुंच कर अपना अंग खाने को दे दिया. गरुड़ ने राजा की दयालुता पर वर मांगने को कहा. पक्षी राज से राजा ने जिन प्राणियों को खाया है, सभी को जीवित करने का वर मांगा. गरुड़ ने सभी को जीवित कर दिया. वह दिन अष्टमी का था.
इस कारण सप्तमी से रहित अष्टमी तिथि को व्रत करने का विधान है. कहा जाता है कि व्रत के महत्व को किसी चील ने सुन लिया. उसने इस बारे में अपनी सखी सियारिन को बताया. आधे पहर में सियारिन ने भोजन ग्रहण कर लिया व चील ने पूरी अष्टमी किसी चीज को ग्रहण नहीं किया. व्रत के प्रभाव से मनुष्य योनि में राजा की पत्नी सियारिन व मंत्री की पत्नी चील बनी.
राजा के सभी पुत्र मर जाते थे व मंत्री के पुत्र जीवित रहते थे. चील बनी मंत्री की पत्नी ने पूर्व जन्म की घटना को बताया. राजा की पत्नी ने भी व्रत को प्रारंभ किया और उनके सभी पुत्र जीवित रहने लगे. तब से महिलाएं यह व्रत करती हैं.

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