हाथी का दांत बना है बाबा विशु राउत सेतु

परेशानी. डेढ़ साल पहले हुआ उद्घाटन, जमीन अधिग्रहण के पेच में फंसा एप्रोच पथ सीमांचल व कोसी को मध्य बिहार से जोड़ने के लिए बनाये गये बाबा विशु राउत पुल का उद्घाटन डेढ़ वर्ष पहले ही कर दिया गया, लेकिन अभी तक यह हाथी का दांत ही बना हुआ है. एप्रोच पथ नहीं बनने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 28, 2016 6:32 AM

परेशानी. डेढ़ साल पहले हुआ उद्घाटन, जमीन अधिग्रहण के पेच में फंसा एप्रोच पथ

सीमांचल व कोसी को मध्य बिहार से जोड़ने के लिए बनाये गये बाबा विशु राउत पुल का उद्घाटन डेढ़ वर्ष पहले ही कर दिया गया, लेकिन अभी तक यह हाथी का दांत ही बना हुआ है. एप्रोच पथ नहीं बनने के कारण पुल का उपयोग नवगछिया की सिर्फ तीन पंचायतों के ही लोगों के लिए रह गया है. इन तीन पंचायत के लोगों को भी बरसात के दौरान चार माह तक पुल हो कर जाने-आने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. अब तक सभी जमीन मालिकों को जमीन के एवज में मुआवजा नहीं मिल पाया है. इस कारण वे लोग एप्रोच पथ बनने नहीं दे रहे हैं.

उपमुख्यमंत्री के आगमन को लेकर पुल की हो रही सफाई.

नवगछिया : भागलपुर जिला अंतर्गत डेढ़ किलोमीटर तक एप्रोच पथ में बाधा है.संपर्क पथ की कुल लंबाई 8.3 किलोमीटर है. इसमें 3.15 किलोमीटर मधेपुरा जिला के अंतर्गत और 5.15 किमी भागलपुर जिला अंतर्गत आता है. मधेपुरा क्षेत्र में एक किलोमीटर तक कहीं-कहीं बाधा हैं. भागलपुर जिला में डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में चार बस्तियां बसी हुई हैं. इन बस्तियों को उजाड़ने के बाद ही पुल के एप्रोच पथ का निर्माण संभव है.

एक पेंच यह भी : तेतरी जीरोमाइल की ओर से संपर्क पथ में एक रेलवे लाइन है. इस रेलवे लाइन पर आरओबी की निर्माण प्रक्रिया अभी भी आधी अधूरी ही है. इसका कारण है कि रेलवे लाइन और लाइन के ऊपर से गये बिजली के हाइ वोल्टेज तार को हटाने में दोनों विभाग की अनुमति चाहिए. इसके बाद ही फिर निर्माण कार्य संभव है. डेढ़ वर्ष से आरओबी का निर्माण आधा अधूरा ही हो पाया है. लोग आरोबी के नीचे से गुजर रहे हैं.
उपमुख्यमंत्री से जमीन मालिकों को उम्मीद : उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के कदवा व भटगामाा आगमन पर जमीन मालिकों के साथ आम लोगों को काफी उम्मीद है. लोगों काे उम्मीद है कि उपमुख्यमंत्री उनकी बातों को गंभीरता से सुनेंगे और समस्या का निदान करेंगे.
संपर्क पथ की राह में 37 कच्चे, 35 पक्के व 97 झोंपड़ियां
विभागीय सर्वे में बात सामने आयी है कि विजय घाट के संपर्क पथ में कुल 37 क्च्चा मकान, 35 पक्का मकान और 97 झोपडि़यां हैं. परिवारों की संख्या पांच सौ से अधिक है. अगर संपर्क पथ बनाया जाता है तो इस मार्ग में आने वाली चार बस्तियों को उजाड़ना होगा. दशकों से ये बस्तियां यहां पर आबाद है. संपर्क पथ के राह में आने वाली बस्तियों के नाम हैं प्रतापनगर कदवा टोला, बोरवा टोला, गोला टोला और पचगछिया.
ग्रामीणों का दर्द
प्रतापनगर कदवा के अशोक पासवान कहते हैं वह सात भाई हैं. सभी साथ रहते हैं. उनके घर में दो कमरे पक्के और कच्चे हैं. यदि हमें यहां से हटा दिया गया, तो हम कहां जायेंगे. हमारे परिवार में 35 सदस्य हैं. तुरंत इन्हें लेकर हम कहां जायेंगे. नवगछिया की ओर से पहली रुकावट उमेश राय के पक्का मकान से हैं. उमेश राय खेती करते हैं और उनका पुत्र मुकेश कुमार एक छोटी सी दुकान चलाते हैं. उमेश राय का कहना है कि बड़ी मेहनत से उन्होंने अपना आशियाना बनाया है. इसे इतनी आसानी से कैसे उजाड़ने देंगे. खुशो राय ने कहा कि जब से पुल बनना शुरू हुआ तब से उन लोगों को घर हटा लेने को कहा जा रहा है. मुआवजे की बात करने पर आश्वासन का झुनझुना दिखा दिया जाता है.
पवनी देवी कहती है उसके परिवार में 20 सदस्य हैं. साहब लोग हमारी तकलीफ नहीं देखते, सिर्फ घर हटा लेने को कहते हैं. अर्जुन मिस्त्री कहते हैं मैं दैनिक मजदूरी कर परिवार चला रहा हूं. बराबर हमारे ऊपर घर हटा लेने का दबाव बनाया जा रहा है. मुक्ति साह बोरवा टोला कदवा में मध्य विद्यालय के पास एक छोटी सी किराना दुकान चलाते हैं. उनके जीने का सहारा दुकान ही हैं. सड़क बनी, तो उनकी दुकान टूट जायेगी. अर्जुन साह का कहना हैं मैं भी चाहता हूं कि पुल का संपर्क पथ बने, लेकिन हमलोगों की जिंदगी तबाह करके नहीं. मुक्ति साह और गोपाल राय ने कहा कि जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, हम अपना घर नहीं हटाने देंगे.

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