पानी पर सालाना दो अरब का खर्च

भागलपुर: जिले में शुद्ध पेयजल आपूर्ति की सरकारी व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने के कारण लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए अन्य विकल्पों का सहारा लेना पड़ रहा है. एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष जिले के लोग शुद्ध पेयजल के लिए लगभग दो सौ करोड़ रुपये खर्च करते हैं. निम्नवर्गीय व निम्न मध्यवर्गीय लोग सबमर्सिबल, बोरिंग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2014 9:10 AM

भागलपुर: जिले में शुद्ध पेयजल आपूर्ति की सरकारी व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने के कारण लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए अन्य विकल्पों का सहारा लेना पड़ रहा है. एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष जिले के लोग शुद्ध पेयजल के लिए लगभग दो सौ करोड़ रुपये खर्च करते हैं.

निम्नवर्गीय व निम्न मध्यवर्गीय लोग सबमर्सिबल, बोरिंग व चापाकल का सहारा लेते हैं तो उच्च मध्यमवर्गीय व उच्च वर्गीय लोग बंद बोतल पानी का सहारा ले रहे हैं. इसके अलावा शहरी निम्न मध्य वर्गीय व मध्य वर्गीय लोग जार के पानी का उपयोग कर रहे हैं.

चापाकल, सबमर्सिबल खरीदने, लगाने और बोतल बंद व जार के पानी की खरीद पर गांव व शहर के लोगों को सालाना दो अरब से अधिक राशि तक खर्च करना पड़ रहा है. सीआरआइ पंप के संचालक पप्पू सिंह बताते हैं कि जिले में गरमी के तीन माह में एक हजार से अधिक माया चापाकल, डेढ़ हजार से अधिक पंजाब चापाकल एवं सबमर्सिबल के दो हजार से अधिक सेट की बिक्री होती है. एक माया हेड लगाने में दो से चार हजार रुपये तक खर्च आता है, वहीं पंजाब चापाकल लगाने में पांच से सात हजार रुपये तक खर्च आता है. एक सबमर्सिबल लगाने में औसत खर्च एक लाख रुपये आता है. इस प्रकार 50 लाख रुपये माया हेड में खर्च आता है, सवा करोड़ रुपये से अधिक पंजाब हेड लगाने में खर्च आता है. वहीं इतने सबमर्सिबल में 20 से 25 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है, जबकि सालों भर चापाकल व सबमर्सिबल जिले में कहीं न कही लगाया जाता है.

रोजाना 20 लाख से अधिक का पानी खरीदते हैं लोग
इधर शुद्ध पेयजल के लिए लोगों को रोजाना चार लाख रुपये से अधिक का बोतल बंद और 15 लाख से अधिक जार के पानी खर्च करना पड़ रहा है. पानी कारोबारी बताते हैं कि पानी जार की सप्लाइ शहर के होटल, दुकानों व दफ्तरों में की जाती है. गरमी के दिन में एक कारोबारी 200 से 300 तक पानी का जार सप्लाइ कर लेते हैं, जबकि शहर में पानी के जार की सप्लाइ करनेवाले 50 से अधिक कारोबारी हैं. इस तरह औसतन 5000 से अधिक पानी के जार की सप्लाइ शहर में की जाती है. हालांकि ठंड में सप्लाइ घट कर आधी हो जाती है. इसके अलावा बोतल बंद पानी के डेढ़ हजार से अधिक काटरून की सप्लाई अलग-अलग दुकानों व होटलों में होती है. बोतल बंद पानी के कारोबारी गोपाल खेतड़ीवाल का कहना है कि यहां के लोगों का जीवन स्तर बढ़ गया है. इस कारण भी यहां के लोग बोतल बंद पानी का उपयोग पीने में करते हैं. शहर में रोजाना दो हजार से अधिक काटरून पानी की सप्लाइ हो जाती है. वहीं दूसरे पानी कारोबारी गंगाधर पांडेय बताते हैं कि सामान्य दिनों की अपेक्षा शादी-विवाह के मौसम में तो पानी की बिक्री तिगुनी हो जाती है. पानी कारोबारी अनुप शर्मा ने बताया कि एक काटरून में 12 बोतल पानी आता है. एक बोतल एक लीटर का रहता है. एक लीटर का औसतन मूल्य 12 रुपये है. वहीं 20 लीटर पानी वाले जार का दाम 20 से 40 रुपये तक आता है.

यहां के लोगों का मानना है कि नगर निगम की ओर से शुद्ध पानी मिल जाये तो बंद बोतल पानी खरीदने की जरूरत नहीं होगी. कुछ एक होटलों में ही बंद बोतल पानी शोभा की वस्तु बन जायेगी, लेकिन यहां अब बंद बोतल पानी आम हो गयी है.

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