रिपोर्टिंग का बना फॉर्मेट, सरकारी जमीन की भी देना होगा ब्योरा
भागलपुर : तिलकामांझी विवि के सरकारी जमीन की गलत जमाबंदी के सनसनीखेज खुलासे से प्रशासन ने सबक लेते हुए हर तरीके से नियम-कायदे दुरुस्त करने शुरू कर दिये. जमाबंदी के खेल में राजस्व कर्मचारी की संलिप्तता को देखते हुए इनके काम पर शिकंजा कसा गया है. प्रशासन ने राजस्व कर्मचारी के रिपोर्टिंग करने का तरीका […]
भागलपुर : तिलकामांझी विवि के सरकारी जमीन की गलत जमाबंदी के सनसनीखेज खुलासे से प्रशासन ने सबक लेते हुए हर तरीके से नियम-कायदे दुरुस्त करने शुरू कर दिये. जमाबंदी के खेल में राजस्व कर्मचारी की संलिप्तता को देखते हुए इनके काम पर शिकंजा कसा गया है. प्रशासन ने राजस्व कर्मचारी के रिपोर्टिंग करने का तरीका बना दिया.
विभाग ने अंचल कर्मचारी को नया फॉर्मेट जारी किया है. इसके आधार पर वे अपने सभी गतिविधि का डाटा भेजेंगे. नये फॉर्मेट में राजस्व कर्मचारी के अंचल के काम का अलग-अलग वर्गीकरण हुआ है. फॉर्मेट में हलका की दाखिल-खारिज, लगान वसूली व काबिल लगान से लेकर जाति-आय व आवासीय प्रमाण पत्र का भी ब्योरा रखना होगा. यह ब्योरा अंचल अधिकारी के माध्यम से जिला को भेजा जायेगा.
राजस्व की समीक्षा बैठक के दौरान अंचलाधिकारी अंचल स्तर की रिपोर्ट लाते थे. इसमें अंचल स्तर पर किये गये दाखिल-खारिज, लगान वसूली, काबिल लगान सहित जाति-आय व आवासीय प्रमाण पत्र की संख्या होती थी. इस रिपोर्ट से यह मालूम नहीं चलता था कि किन-किन हलका से कितने काम हुए हैं. रिपोर्ट से प्रत्येक राजस्व कर्मचारी के काम का अंदाजा भी नहीं लगता था.
जिलाधिकारी आदेश तितरमारे ने राजस्व सुधार को लेकर विभाग को आवश्यक निर्देश दे रखे हैं. डीएम ने राजस्व विभाग को स्पष्ट तौर पर जमीन के मामले में होनेवाली मनमानी को रोकने के लिए कहा है. इसमें चाहे अंचलाधिकारी हो या राजस्व कर्मचारी, किसी भी स्तर से भेदभाव पूर्ण रवैये को समय पर उजागर किया जाये और संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये.
दाखिल-खारिज आवेदन पर भी हो रहा मंथन. डीएम ने दाखिल-खारिज आवेदन के स्वीकृत या अस्वीकृत करने के राजस्व कर्मचारी व बाद में अंचलाधिकारी स्तर से होनेवाले खेल पर भी लगाम लगाने के लिए कहा है. पहले भी अपर समाहर्ता (राजस्व) स्तर से आवेदन के अस्वीकृत होने के कारण की सूची जिला को भेजने का निर्देश दिया है, मगर इस बारे में अंचल स्तर पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई गयी है. इस कारण मामले पर समीक्षा भी नहीं हो पा रही है.