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डीएचयू के वैज्ञानिकों के बीच बजा डॉ नीतीश की प्रतिभा का डंका

भागलपुर: पूर्व बिहार के नामी होमियोपैथ चिकित्सक व हैनिमैन अवार्ड से सम्मानित डॉ नीतीश दुबे की होमियोपैथिक चिकित्सा विधा में पकड़ व उनकी काबिलियत का डंका डीएचयू(डच होमियोपैथ यूनियन) में कार्यरत जर्मन वैज्ञानिकों के बीच बजा. इस दौरान जब डॉ नीतीश ने ल्यूकोडर्मा और आर्थराइटिस पर अपने शोध को नामी होमियोपैथिक वैज्ञानिकों के बीच साझा […]

भागलपुर: पूर्व बिहार के नामी होमियोपैथ चिकित्सक व हैनिमैन अवार्ड से सम्मानित डॉ नीतीश दुबे की होमियोपैथिक चिकित्सा विधा में पकड़ व उनकी काबिलियत का डंका डीएचयू(डच होमियोपैथ यूनियन) में कार्यरत जर्मन वैज्ञानिकों के बीच बजा. इस दौरान जब डॉ नीतीश ने ल्यूकोडर्मा और आर्थराइटिस पर अपने शोध को नामी होमियोपैथिक वैज्ञानिकों के बीच साझा किया तो जर्मन चिकित्सक व वैज्ञानिक भी इनकी ज्ञान-मेधा व काबिलियत का लोहा मान गये.

सात दिवसीय जर्मन यात्रा से स्वदेश लौटे डॉ नीतीश ने बताया कि यात्रा के दौरान जहां उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े होम्योपैथिक अनुसंधान केंद्र डीएचयू में होम्योपैथिक के क्षेत्र में नित हो रहे नये-नये अनुसंधान को करीब से देखने-समझने व जानने का अवसर मिला. डॉ नीतीश की ज्ञान से अभिभूत जर्मनी के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सलाहकार डॉ अर्थ ने उन्हें रात्रि भोज पर आमंत्रित किया.

मुलाकात के दौरान डॉ अर्थ ने भारत को होम्योपैथ की दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बताते हुए कहा कि भारत में लोगों का होम्योपैथिक के प्रति तेजी से आकर्षण बढ़ रहा है. अपने भ्रमण के दौरान डीएचयू में होम्योपैथ के औषधीय पौधे का संग्रह देख डॉ नीतीश दंग रह गये. डॉ नीतीश का कहना है कि भारत में भी औषधीय पौधे की खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.

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