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ब्लड बैंक बना बेस्ट, सूबे में दूसरा स्थान

जेएलएनएमसीएच. बेहतर व्यवस्था से पांच साल में हो गया कायाकल्प भागलपुर : 2011 तक जेएलएनएमसीएच (मायागंज हॉस्पिटल) स्थित ब्लड बैंक की हालत पतली थी. बैंक के संसाधन के मामले में पिछड़ा था तो यहां पहुंचने से पहले ही मरीज के परिजन खून के दलालों के चंगुल में फंस जाते थे. लेकिन पांच साल बाद ब्लड […]

जेएलएनएमसीएच. बेहतर व्यवस्था से पांच साल में हो गया कायाकल्प

भागलपुर : 2011 तक जेएलएनएमसीएच (मायागंज हॉस्पिटल) स्थित ब्लड बैंक की हालत पतली थी. बैंक के संसाधन के मामले में पिछड़ा था तो यहां पहुंचने से पहले ही मरीज के परिजन खून के दलालों के चंगुल में फंस जाते थे. लेकिन पांच साल बाद ब्लड बैंक का परिदृश्य बदल चुका है. ब्लड बैंक के कोष में खून पर्याप्त मात्रा में है. यहां पर आसानी से जरूरतमंद मरीजों को खून मिल जाता है. दलाली करने वाले यहां पर अब ढूंढे नहीं मिलते हैं.
सूबे का टॉप टू बना ब्लड बैंक : साल 2011 के अगस्त माह में जब ब्लड बैंक का बतौर प्रभारी डॉ रेखा झा ने जब कार्यभार ग्रहण किया था तो उस वक्त संसाधन के मामले में ब्लड बैंक की हालत खस्ता थी. संसाधन सीमित थे. पहले यहां पर एक ही प्लाज्मा स्टोरेज फ्रीज था, लेकिन 2017 के दूसरे माह तक यहां पर तीन प्लाज्मा स्टोरेज हो चुका है. चौथा भी यहां पर आ चुका है. वर्तमान में ब्लड बैंक में उन्नत लाइब्रेरी, हिमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स जांचने के लिए सेल काउंटर, हिमोग्लोबिन को क्रास चेक करने के लिए कैलोरी मीटर, माइक्रोस्कोप, एचआइवी, हेपेटाइटिस बी व सी जांचने के लिए एलिजा रीडर, दो लेटकर खून देने के लिए दो डोनर काउच उपलब्ध है. यहां पर ब्लड बैंक का हर रूम, लैब, काउंसेलिंग रूम आदि को पूरी तरह से सुसज्जित किया जा चुका है. यहां आने पर लोगों को किसी प्राइवेट ब्लड बैंक में आने का एहसास होता है. इसी के दम पर ब्लड बैंक आज की तारीख में सूबे में महावीर कैंसर संस्थान के बाद बिहार का नंबर दो ब्लड बैंक होने का तगमा हासिल कर चुका है.
पांच साल में पांच गुना अधिक दान करने लगा ब्लड बैंक : 2011 में यह ब्लड बैंक हर माह करीब पांच से आठ मरीज को ही नि:शुल्क खून दे पाता था. लेकिन पांच साल बाद यहां पर हर माह 35 से 40 जरूरतमंद मरीजों को खून मिल जाता है. ब्लड बैंक में तैनात डॉ दिव्या सिंह बताती हैं कि ब्लड बैंक की कार्यशैली को ऐसा बनाने का प्रयास किया गया जहां मरीज बिना किसी झिझक के लेने या फिर किसी भी प्रकार की सहायता के लिए आ सके. यहीं कारण है कि मरीज जहां बिना किसी खौफ के आते हैं तो खून की दलाली करनेवाले वर्तमान परिदृश्य से पूरी तरह से गायब हो चुके हैं.
साल में बढ़ती गयी रक्तदान करनेवालों की संख्या
साल रक्तदान (यूनिट में) रक्तदान करनेवाले बढ़े
2011 4253 —
2012 4660 407
2013 4789 129
2014 5301 512
2015 6281 980
2016 7832 1551
आधा दर्जन जिले का सर्विलांस सेंटर बना ब्लड बैंक
मायागंज हॉस्पिटल का ब्लड बैंक भागलपुर, पूर्णिया, अररिया, बांका, किशनगंज समेत आधा दर्जन जिले का सर्विलांस सेंटर बनकर उभरा है.
अगर ब्लड बैंक इस मुकाम पर पहुंचा है तो इसका पूरा श्रेय हॉस्पिटल के अधीक्षक समेत ब्लड बैंक के एक-एक कर्मचारी को है. पूरी यूनिट को एकता, अनुशासन की डोर में बांधने का प्रयास किया और यहां की कार्यशैली को पूरी तरह से पारदर्शी बनाया.
डॉ रेखा झा, प्रभारी, ब्लड बैंक जेएलएनएमसीएच

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